संस्कृति - अयोध्या

नवरात्रि में क्यों खाते हैं ये फलाहार ?

नवरात्रि में देवी की उपासना के साथ ही नौ दिनों के उपवास होते हैं इन दिनों फलाहार ही होता है। इन दिनों घर में सादे नमक की जगह सेंधा नमक और गेहूं के आटे की जगह  बल्कि सिर्फ कूटू का आटा या सिंघाड़े का आटा खाया जाता है। इसके पीछे धार्मिक के साथ ही वैज्ञानिक आधार भी है।
आयुर्वेद के मुताबिक गेहूं,  प्याज़, लहसुन, अदरक जैसी चीज़ें नकारात्मक ऊर्जा आकर्षित करती हैं। वहीं मौसम के बदलने पर हमारी रोग प्रतिरोधक शक्ति काफी कम होती है, जिसकी वजह से शरीर को बीमारियां लगती हैं। ऐसे में इन चीज़ों का सेवन करना नुकसानदायक साबित हो सकता है। व्रत करने का मतलब है रोज़ के खाने से शरीर पर रोक लगाना। ऐसे में लोग आसानी से पच जाने वाला और पोषक तत्वों से भरा खाना खाते हैं।  गेहूं, पाचन क्रिया को धीमा करता है, इसलिए लोग इससे परहेज़ करते हैं।  परिवर्तित खाने की जगह फल, सब्जी, जूस और दूध पीना ज्यादा बेहतर माना जाता है।
सेंधा नमक
देखा गया है कि नवरात्रि के समय लोग खाना बनाने में सादे नमक की जगह सेंधा नमक का इस्तेमाल करते हैं। सेंधा नमक  पहाड़ी नमक होता है, जो स्वास्थ्य के साथ व्रत के खाने में शामिल किए जाने वाला सबसे शुद्ध नमक माना जाता है। यह कम खारा और आयोडीन मुक्त होता है। इसमें सोडियम की मात्रा कम, पोटेशियम और मैग्नीशियम की मात्रा ज़्यादा पाई जाती है, जो कि हार्ट के लिए काफी फायदेमंद होता है।
साबूदाना
इसे हर तरह के व्रत में खाया जा सकता है। साबूदाना एक प्रकार के पौधे से निकाले जाने वाला पदार्थ होता है, जिसमें स्टार्च की मात्रा काफी अधिक होती है। इसमें कार्बोहाइड्रेट और थोड़ा प्रोटीन भी शामिल होता है। साबूदाना शरीर को आवश्यक शक्ति प्रदान करता है। इससे आप साबूदाना खीर, टिक्की या फिर साबूदाना खिचड़ी जैसे कई व्यंजन बना सकते हैं।
कूटू का आटा
कूटू का आटा एक पौधे के सफेद फूल से निकलने वाले बीज को पीसकर तैयार किया जाता है। आमतौर पर लोग इसे व्रत में खाते हैं, क्योंकि न तो यह अनाज है और न ही वनस्पति।  यह एक घास परिवार का सदस्य है। कहते हैं कि इस आटे की तासीर गर्म होती है, जिससे शरीर में कार्बोहाइड्रेट और ग्लूकोज़ का स्तर बढ़ता है। कूटू का आटा ग्लूटन फ्री होने के साथ काफी पौष्टिक भी होता है। इसमें फाइबर, प्रोटीन और विटामिन-बी की मात्रा अधिक होती है।  इस आटे में आयरन, मैग्नीशियम और फॉस्फोरस जैसे कई मिनरल्स होते हैं, जो कि व्रत के लिए पौष्टिक आहार माने जाते हैं।
सिंघाड़े का आटा
व्रत में पूरा दिन फलाहार खाने के बाद जब रात में भूख लगती है, तो लोग या तो कूटू के आटे की पकौड़ी खाते है या सिंघाड़े के आटे की। असल में यह आटा सूखे पिसे सिंघाड़े से बनता है। इसमें पोटेशियम और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा ज़्यादा और सोडियम और चिकनाई की मात्रा कम होती है।सिंघाड़ा, एक तरह का फल होता है, जिसमें फाइबर, विटामिन्स और मिनरल्स पाए जाते हैं. व्रत के समय में इसे खाने का मतलब है, शरीर के पोषक तत्वों से जुड़ी जरूरतों को पूरा करना।
रामदाना
यह फलाहार पोषक तत्वों से भरा है। इसमें प्रोटीन और कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है। व्रत के समय लोग, अनाज की जगह अपने खाने में इसे शामिल कर सकते हैं। इसमें ग्लायसैमिक इंडेक्स कम होता है और यह ग्लूटेन फ्री भी होता है। आप इससे रामदाना चिक्की या लड्डू समेत कई तरह के पकवान बना सकते हैं। कई लोग तो इसे दूध में ऊपर से डालकर खाना पसंद करते हैं।

News Desk

The News Desk at Janmorcha.in is committed to delivering timely, accurate, and in-depth coverage of the latest events from across the globe. Our team of seasoned journalists and editors work tirelessly to ensure that our readers are informed with the most current and reliable news. Whether it's breaking news, politics, sports, or entertainment, the News Desk is dedicated to providing comprehensive analysis and insights that matter to our audience. Trust the News Desk at Janmorcha.in to keep you informed with the news that shapes the world around us.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button