स्मॉग का कहर होगा कम, उत्तर भारत में बदल रहा मौसम, यूपी में गिरेगा पारा
मौसम बदल रहा है और रात के तापमान में गिरावट जारी है, लेकिन आसमान में छाई गहरी स्मॉग के चलते उत्तर भारत के बड़े क्षेत्र को अभी दिन की गर्मी से पूरी तरह राहत नहीं मिलने वाली। दिल्ली के अधिकांश इलाकों में प्रदूषण अति खतरनाक स्थिति में पहुंच चुका है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र को स्मॉग से निजात तभी मिल सकती है, जब उत्तर-पश्चिम से आने वाली हवा तेज होगी।
पंजाब, हरियाणा और दिल्ली को स्मॉग से मिलेगी राहत
जम्मू-कश्मीर में पहाड़ों पर बर्फबारी होने लगी है। मौसम ठंडा भी होने लगा है। अगले दो-तीन दिनों में उत्तर-पश्चिम से आने वाली हवा की गति तेज हो सकती है। इससे तापमान गिरेगा और पंजाब, हरियाणा, दिल्ली एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों को स्मॉग से राहत मिल सकती है। हालांकि, ऐसा आंशिक रूप से ही होगा क्योंकि मौसम में बड़ा परिवर्तन नहीं होने जा रहा।
हिमाचल में गिरेगा पारा
पिछले कई वर्षों से देखा जा रहा है कि मानसून के हटते ही वर्षा रुक जाती है और प्रदूषण बढ़ जाता है।परिवर्तन का दूसरा दौर नवंबर के अंतिम सप्ताह में आएगा, जब जम्मू-कश्मीर में एक मजबूत पश्चिमी विक्षोभ की स्थिति बन जाएगी। उसके सक्रिय होते ही पहाड़ों में तेज बर्फबारी के साथ बारिश भी होगी, जो स्मॉग को आगे धकेल सकती है। हिमाचल प्रदेश के पहाड़ों पर हल्की बारिश होने लगी है। तापमान को कम करने में इसका भी असर होगा।
एमपी में बढ़ेगी ठंग, बिहार में साफ रहेगा मौसम
मौसम विज्ञानियों का मानना है कि अभी दिल्ली में जो स्मॉग है, वह पश्चिमी विक्षोभ के असर से पूर्वी उत्तर प्रदेश की तरफ खिसक सकती है। मध्यप्रदेश में भी तापमान में थोड़ी गिरावट आ सकती है। अभी भी गुजरात और राजस्थान के कई जिलों में तापमान अधिक बना हुआ है। बिहार समेत पूर्वोत्तर के कई राज्यों में अभी मौसम साफ रहेगा।
दक्षिण के राज्यों में बारिश जारी रहने की संभावना
दक्षिण भारत के राज्यों में बारिश जारी रहने की संभावना है। तमिलनाडु और केरल के दक्षिणी भागों में भारी बारिश संभव है।सुस्त हवा ने बढ़ाया स्मॉग हवा की धीमी गति और प्रदूषण की अधिकता के चलते दिल्ली की हवा खतरनाक श्रेणी में पहुंच चुकी है। वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) सात सौ के पार चला गया है। जब हवा की गति सुस्त पड़ती है तो वाष्प कण धूल-मिट्टी के साथ चिपक जाते हैं और कोहरे के साथ मिलकर स्मॉग बना लेते हैं।
इस बार नवंबर के आधा निकलने के बाद भी सर्दी की शुरुआत नहीं हुई है। तापमान के लगातार गिरने से नीचे की हवा गर्म होती जाती है और ऊपर की ठंडी होती जाती है। इसका असर होता है कि गर्म हवा के ऊपर ठंडी हवा के की एक परत के चलते ढक्कन जैसा लग जाता है, जिससे प्रदूषित हवा हट नहीं पाती।