बिलासपुर । पंडित सुंदरलाल शर्मा (मुक्त) विश्वविद्यालय छत्तीसगढ़ के सिहावा अकादमिक भवन में 26 नवंबर 2024 को पुण्यश्लोक राजमाता अहिल्यादेवी होल्कर : व्यक्तित्व एवं कृतित्व विषय पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इस दौरान कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में विनोद जैन, समाजसेवी, मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. आर पी दुबे, कुलपति, डॉ. सीवी रमन विश्वविद्यालय कोटा, विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. वर्णिका शर्मा, प्रांतीय सह सचिव, राष्ट्रीय मुख्य जागरण मंच, आयोजन के अध्यक्ष के रूप में प्रो. बंश गोपाल सिंह, कुलपति, पंडित सुंदरलाल शर्मा (मुक्त) विश्वविद्यालय छत्तीसगढ़ रहे..
अपने उद्बोधन में पंडित सुंदरलाल शर्मा (मुक्त) विश्वविद्यालय के कुलपति बंश गोपाल सिंह ने कहा कि अहिल्या नाम से आम जनमानस को रामायण की पात्र देवी अहिल्या का ध्यान आता है लेकिन महज 300 वर्ष पूर्व लोक कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली राजमाता अहिल्यादेवी होल्कर को इतिहास में वह जगह नहीं मिली, जिसकी वह हकदार है। उन्होंने कहा कि इतिहास को हम जानेंगे नहीं तो सीखेंगे कैसे। उनके कार्यों के बारे में विस्तार से बताते हुए श्री सिंह ने कहा कि रानी राहगीरों, गरीबों, विकलांगों, साधु- संतों,पशु- पक्षियों, जीव- जंतुओं सभी का ध्यान रखती थी यहां तक कि अपने सैनिकों, कर्मचारियों के कल्याण के लिए भी वह कभी पीछे नहीं हटी। वेतन समय पर देना, शौर्यपूर्ण कार्य करने वाले स्वामी भक्त सैनिकों को पुरस्कृत करना इत्यादि कार्य किए। अहिल्याबाई का हृदय समाज के सभी वर्गों के लिए धडक़ता था। उन्होंने बद्रीनाथ, केदारनाथ, रामेश्वरम, जगन्नाथ पुरी, द्वारका,पैठण, महेश्वर, वृंदावन, सुपलेश्वर, उज्जैन, पुष्कर, पंढरपुर , चिंचवाड़, चिखलदा, आलमपुर, देवप्रयाग, राजापुर स्थानों पर मंदिरों का पुनर्निर्माण करवाया तथा घाट बनवाएं और अन्नसत्र या सदावर्त खुलवाए जहां लोगों को प्रतिदिन भोजन मिलता था। काशी विश्वेश्वर मंदिर के साथ-साथ पूरे देश के मंदिरों का निर्माण व पुनर्निर्माण का कार्य रानी ने करवाया। त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग में तीर्थ यात्रा के लिए विश्रामगृह, अयोध्या, नासिक में भगवान राम के मंदिरों का निर्माण, सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण, उज्जैन में चिंतामणि गणपति मंदिर निर्माण ये सभी कार्य रानी ने दिल खोलकर किए हैं। उन्होंने बताया कि देवी अहिल्याबाई का निष्ठावान और कर्तव्य परायण चरित्र पूरे देश में लोकप्रिय है। सदा सद्भावना युक्त कार्य कर सभी का कल्याण करती हैं। इन्हीं सद्गुणों के कारण वह जन-जन के हृदय में स्थान ग्रहण किए हुए है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि समाजसेवी विनोद जैन ने कहा कि करीब 300 साल पहले देवी अहिल्याबाई होल्कर ने जनता को न्याय सुविधा दिलाने बेहतर प्रशासन व्यवस्था तैयार की थी, इसका एक रूप आज भी भारत में लागू है। उन्होंने देश की विभूतियों से प्रेरणा लेने की बात कही।
अपने उद्बोधन में डॉ. सीवी रमन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आरपी दुबे ने कहा कि इतिहास में देवी अहिल्या, रानी दुर्गावती एक विभूतिया हैं जिन्हें इतिहास में स्थान नहीं मिल पाया। हमारे वेद पुराण को पौराणिक कहकर अलग कर दिया जाता है। हमारे पुराणों में नारी को सदैव सम्मान मिला है लेकिन वर्तमान स्थिति दूसरी है। इसका प्रमुख कारण आक्रमणकारियों का प्रभाव कहा जा सकता है। उन्होंने बताया की नई शिक्षा नीति में भारतीय मूल समाहित है जोकि छात्रों के दृष्टिकोण को बदलने में बड़ी भूमिका अदा करेगी।
आयोजन की विशिष्ट अतिथि डॉ. वर्णिका शर्मा, प्रांतीय सह सचिव, राष्ट्रीय मुख्य जागरण मंच ने कहा कि रानी अहिल्या देवी होल्कर राजमाता नहीं बल्कि लोकमाता थी। उन्होंने अपना पूरा जीवन प्रजा की सेवा में समर्पित कर दिया। नारी शिक्षा, सती प्रथा, गौ सेवा, शिव पूजा समेत अनेक महत्वपूर्ण कार्य आज भी हमें प्रेरणा देते हैं।
कार्यक्रम में उपस्थित पं. सुंदरलाल शर्मा विश्वविद्यालय के कुलसचिव भुवन सिंह राज ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारत ऐसे ही विश्व गुरु नहीं बना था। यहां की महिलाओं ने इतिहास में वह स्थान अर्जित किया है जिससे देवता भी वंचित रहे हैं। लौह महिला महारानी अहिल्याबाई होल्कर का व्यक्तित्व व कृतित्व उन्हें विश्व की श्रेष्ठतम महिलाओं की पंक्ति में अग्रणी बनाता है जिनका भारत के इतिहास और जनमानस पर विशेष प्रभाव रहा है। विश्व के सबसे बड़े महिला संगठन राष्ट्र सेविका समिति कर्तृत्व के आदर्श के रूप में लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर का अनुसरण करती है। आयोजन में पुण्य श्लोक राजमाता अहिल्यादेवी होल्कर : व्यक्तित्व एवं कृतित्व विषय पर विश्वविद्यालय स्तरीय भाषण व निबंध प्रतियोगिता के परिणामों की घोषणा की गई। महाविद्यालय स्तर, उच्च माध्यमिक स्तर व पूर्व माध्यमिक स्तर पर छात्रों को प्रथम, द्वितीय व तृतीय पुरस्कार से पुरस्कृत भी किया गया। कार्यक्रम का आयोजन शिक्षा विभाग के नेतृत्व में हुआ। आयोजन में बड़ी संख्या में प्राध्यापक, अधिकारी, कर्मचारी समेत छात्रगण उपस्थित रहे।
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