पीएम मोदी और श्रीलंका के राष्ट्रपति दिसानायका की बैठक, कनेक्टिविटी और सुरक्षा पर लिए गए अहम निर्णय
भारत और श्रीलंका ने सोमवार को अपनी साझेदारी का विस्तार करने के लिए एक भविष्यवादी दृष्टिकोण अपनाया है। दोनों देशों ने जल्द ही एक रक्षा सहयोग समझौते को पूरा करने का संकल्प लिया, इसी के साथ बिजली ग्रिड कनेक्टिविटी और बहु-उत्पाद पेट्रोलियम पाइपलाइनों की स्थापना करके ऊर्जा संबंधों को बढ़ाने का फैसला किया।
दरअसल, श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायका इस समय भारत के दौरे पर हैं। इस दौरान उन्होंने पीएम मोदी से मुलाकात की। दोनों देश के नेताओं ने मुलाकात के दौरान व्यापक वार्ता की और कई निर्णय लिए।
मुलाकात के बाद पीएम मोदी ने कहा कि दोनों पक्षों ने भारत-श्रीलंका आर्थिक साझेदारी के लिए निवेश-आधारित विकास और कनेक्टिविटी पर जोर देने का फैसला किया और यह निर्णय लिया गया कि भौतिक, डिजिटल और ऊर्जा कनेक्टिविटी सहयोग के प्रमुख स्तंभ होंगे।
उन्होंने कहा कि बिजली ग्रिड कनेक्टिविटी और बहु-उत्पाद पेट्रोलियम पाइपलाइनों की स्थापना के लिए काम किया जाएगा, उन्होंने कहा कि भारत द्वीप राष्ट्र के बिजली संयंत्रों को तरलीकृत प्राकृतिक गैस की आपूर्ति करेगा।
प्रधानमंत्री ने यह भी घोषणा की कि दोनों देशों के बीच कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए रामेश्वरम और तलाईमनार के बीच एक नौका सेवा शुरू की जाएगी।
मोदी ने कहा, "हम दोनों इस बात पर सहमत हैं कि हमारे सुरक्षा हित आपस में जुड़े हुए हैं। हमने रक्षा सहयोग समझौते को जल्द ही अंतिम रूप देने का फैसला किया है। हाइड्रोग्राफी पर सहयोग के लिए भी एक समझौता हुआ है।" दोनों देशों के नेताओं के बीच हुई वार्ता में मछुआरों के विवादित मुद्दे पर भी चर्चा हुई।
पीएम मोदी ने कहा, "हमने मछुआरों की आजीविका से जुड़े मुद्दों पर भी चर्चा की। हम इस बात पर सहमत हैं कि हमें इस मामले में मानवीय दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ना चाहिए।" तमिल मुद्दे का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि भारत को उम्मीद है कि श्रीलंका सरकार समुदाय की आकांक्षाओं को पूरा करेगी।
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारत ने अब तक श्रीलंका को 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर की ऋण सहायता और अनुदान सहायता प्रदान की है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "हम श्रीलंका के सभी 25 जिलों में सहयोग कर रहे हैं और हमारी परियोजनाओं का चयन हमेशा हमारे साझेदार देशों की प्राथमिकताओं के आधार पर होता है।"