मध्यप्रदेशराज्य

‘टैक्स’ से मप्र सरकार को हो रही भरपूर कमाई

भोपाल ।  अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दामों में भले ही पिछले पांच वर्षों के दौरान बड़ी गिरावट देखने को मिली हो, लेकिन आम लोगों को महंगे पेट्रोल-डीजल के दामों से कोई राहत नहीं मिली है। लेकिन इन पांच वर्षों में केंद्र और राज्य सरकारों ने पेट्रोल डीजल पर टैक्स लगाकर अपना खजाना जरूर भर लिया है। मप्र सरकार की शुरुआती छह महीने (अप्रैल से सितंबर) में पिछले पांच सालों की तुलना में कमाई अच्छी हुई है।
पेट्रोल-डीजल और शराब ने प्रदेश की अर्थव्यवस्था को बड़ा संबल दिया है। पेट्रोल-डीजल पर वैट और शराब बिक्री पर एक्साइज ड्यूटी से पिछले साल की तुलना में 1802 करोड़ रुपए ज्यादा मिले हैं, इन ज्यादा प्राप्तियों से लाड़ली बहना योजना का डेढ़ महीने का भुगतान हो सकेगा। केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदार से भी प्रदेश को छह महीने पिछले साल इसी अवधि की तुलना में 7 हजार करोड़ रुपए ज्यादा मिले हैं, लेकिन केंद्र से मिलने वाले अनुदान में 4 हजार करोड़ की कमी आई है। इससे यह बढ़त 3 हजार करोड़ ज्यादा तो है, लेकिन कर्मचारियों के बढ़े हुए डीए पर आया खर्चा इसमें सेंध लगा रहा है।

एसजीएसटी से 17023 करोड़ मिल
राज्य वस्तु एवं सेवा कर (एसजीएसटी) के वर्ष 2024-25 में पहले छह महीने में 17023 करोड़ मिले हैं जो इसी अवधि में पिछले साल 19481 करोड़ मिले थे। यह कमी 12.61 प्रतिशत है। फरवरी में आने वाले बजट में यह कमी बनी रहेगी। इसकी वजह वस्तु एवं सेवा कर व्यवस्था के तहत अंतर्गत राज्यो के करों में कमी आने की जो व्यवस्था केंद्र ने थी वह जून 2022 तक ही थी। इसलिए यह कमी बनी रहेगी। इस कमाई से होगा लाड़ली बहना योजना का डेढ़ महीने का भुगतान। वित्तीय वर्ष 2024-25 के अप्रैल से सितंबर के बीच सरकार की आमदनी का खांका इस तरह रहा है। इसमें उल्लेखनीय राज्य सरकार के करों में उसे पिछले साल से 6 हजार करोड़ रुपए ज्यादा मिल रहे हैं, यह वृद्धि भी 8.14 प्रतिशत है, लेकिन कुल राजस्व प्राप्तियां इस साल 1 लाख 6 हजार करोड़ रुपए थी जो पिछले साल 1 लाख 3 हजार करोड़ रुपए थी. इसलिए यह वृद्धि 2.24 प्रतिशत ही है। इसमें केंद्र से प्राप्त केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी और केंद्र से सहायता प्राप्त अनुदान का हिस्सा 80 प्रतिशत तक है।

शराब नहीं, ईंधन से बढ़ा राजस्व
राज्य में शराब की खपत हर साल 21 प्रतिशत सालाना बढ़ रही है, लेकिन उससे राजस्व की सालाना वृद्धि 19.54 प्रतिशत ही रही। इसकी तुलना में पेट्रोल-डीजल की बिक्री में बढ़ोतरी 7 प्रतिशत से भी कम रही, लेकिन इससे खजाने में हर साल 34 प्रतिशत ज्यादा पैसा आ रहा है। सरकार के अपने आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे हैं। खास बात यह है कि सरकार को पेट्रोल-डीजल की टैक्स वसूली के लिए अपना अमला नहीं लगाना पड़ता। तेल कंपनियां खुद ही यह टैक्स एकत्र करके सरकार के खजाने में जमा करा देती हैं। लेकिन शराब समेत दूसरे मदों में राजस्व उगाही का जिम्मा सरकार के विभागों का होता है। जानकार कहते हैं कि सरकार अपने अमले के जरिए शराब समेत दूसरे मदों में आय नहीं बढ़ा पा रही है। इसका खामियाजा आम आदमी को पेट्रोल-डीजल के बढ़े दाम देकर चुकाना पड़ रहा है।

News Desk

The News Desk at Janmorcha.in is committed to delivering timely, accurate, and in-depth coverage of the latest events from across the globe. Our team of seasoned journalists and editors work tirelessly to ensure that our readers are informed with the most current and reliable news. Whether it's breaking news, politics, sports, or entertainment, the News Desk is dedicated to providing comprehensive analysis and insights that matter to our audience. Trust the News Desk at Janmorcha.in to keep you informed with the news that shapes the world around us.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button