मध्यप्रदेशराज्य

इंदौर से छिन सकता है सबसे स्वच्छ शहर का ताज!

इंदौर । देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर की बादशाहत स्वच्छता के मामले में खत्म हो सकती है। स्वच्छता सर्वेक्षण में उसे कई शहरों से कड़ी टक्कर मिल रही है। इंदौर लगातार 7 बार देश का सबसे स्वच्छ शहर रहा है। हालांकि इस बार उसके लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। कई ऐसे शहर हैं जो इंदौर को टक्कर दे रहे हैं लेकिन इस बार इंदौर को मप्र की ही राजधानी भोपाल से चुनौती मिल रही है।स्वच्छ सर्वेक्षण में इस बार कई बड़े बदलाव किए गए हैं। यह पहला मौका है जब स्वच्छ सर्वेक्षण में निगेटिव मार्किंग को लागू किया गया है। केंद्रीय आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय को प्रत्येक शहर मासिक सूचना तंत्र के माध्यम से अपने स्वच्छता संबंधित किए गए कार्यों की जानकारी भेजता है। सर्वे के दौरान मैदानी स्तर पर यदि कार्य में 50 फीसदी तक की कमी पाई जाएगी तो उस शहर के अधिकतम 30 अंक कम कर दिए जाएंगे।

भोपाल से मिल रही है चुनौती
इंदौर को मप्र की राजधानी भोपाल से कड़ी चुनौती मिल रही है। 2023 में भोपाल देश का पांचवां सबसे स्वच्छ शहर था। इस बार भोपाल नगर निगम ने खास तैयारी की है। जिसका असर जमीन पर दिखाई दे रहा है। भोपाल नगर निगम के पास कचरा ट्रांसफर करने के लिए 72 बड़े ट्रक कैप्सूल हैं। वहीं, सडक़ पर ऑटोमेटिक सफाई करने वाली 10 मैकेनाइज्ड रोड स्वीपिंग मशीनें हैं।

अलग-अलग मापदंडों से होता है तय
स्वच्छता सर्वेक्षण में शामिल शहरों का अलग-अलग मापदंडों पर आकंलन किया जाता है इसके बाद फैसला किया जाता है कि कौन सा शहर देश का सबसे स्वच्छ शहर है। सफाई सिस्टम के अलावा शहरवासियों का फीडबैक, शिकायतों का समाधान, स्वच्छता के लिए नवाचार, कचरे का पुर्नउपयोग, कचरे का निदान, जल सरंचना, तालाबों की सफाई, पब्लिक टायलेट समेत कई पैमाने होते हैं। इंदौर को स्वच्छता के मामले में उस बार सूरत से कड़ी टक्कर मिली थी। सूरत नगर निगम भी स्वच्छता के लिए लगातार नवाचार कर रहा है जिस कारण से उसके सफाई की देशभर में चर्चा हो रही है।

सर्वश्रेष्ठ वार्ड को सम्मानित करेगा ननि
भोपाल को सबसे स्वच्छ शहर बनाने के लिए महापौर मालती राय और निगम आयुक्त हरेंद्र नारायण लगातार प्रयास कर रहे हैं। गतदिवस स्वच्छ सर्वेक्षण-2024 के तहत सबसे स्वच्छ वार्ड प्रतियोगिता के लिए चुने गए 24 वार्डों के पार्षदों के साथ बैठक की। एक विस्तृत प्रस्तुति के माध्यम से पार्षदों को मूल्यांकन मानदंडों के बारे में जानकारी दी गई, जिसमें कुल 200 अंक हैं, जिसमें से 100 अंक स्वच्छता घटकों के लिए समर्पित हैं। महापौर राय ने विशेष स्वच्छता प्रयासों को प्रेरित करने और निवासियों के बीच गर्व की भावना को बढ़ावा देने के लिए प्रतियोगिता के लक्ष्य पर जोर दिया। मूल्यांकन के मुख्य मानदंडों में अपशिष्ट पृथक्करण, गीले अपशिष्ट से खाद बनाना, धूल रहित हरियाली, एकल उपयोग वाले प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाना, वाटर प्लस प्रोटोकॉल के अनुसार सार्वजनिक शौचालयों का रखरखाव और शून्य अपशिष्ट कार्यक्रम आयोजित करना शामिल है। स्वच्छ विद्यालय रैंकिंग, विरासत-थीम वाली दीवार पेंटिंग और स्वच्छता चैंपियन के सम्मान जैसी पहलों को भी प्रोत्साहित किया जाता है। पार्षदों, निवासी संघ के सदस्यों, स्वैच्छिक संगठनों और अपशिष्ट प्रबंधन विशेषज्ञों से मिलकर बनी एक जूरी वार्डों में स्वच्छता का आकलन करेगी। निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए, जूरी के सदस्य अपने वार्ड के अलावा अन्य वार्डों का भी मूल्यांकन करेंगे।

12500 अंकों के लिए करनी होगी मशक्कत
केंद्रीय आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय के अधिकारियों का भी कहना है कि सुपर स्वच्छ लीग में शामिल शहरों की किसी तरह की रैंकिंग होगी या नहीं, यह अभी तय नहीं है। इस संबंध में आगामी दिनों में निर्णय लिया जाएगा। इस बार सर्वेक्षण में शामिल शहरों को अव्वल आने के लिए 12500 अंक हासिल करने की मशक्कत करनी होगी।

News Desk

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