मध्यप्रदेशराज्य

धार्मिक नगरों में शराबबंदी के साथ महंगी होगी मदिरा

भोपाल। मप्र के 17 धार्मिक नगरों (स्थानों) में पूर्ण शराबबंदी होगी। धार्मिक नगरों में पूर्ण शराबबंदी से जहां लोग खुश है वहीं शराब के शौकीनों के लिए बुरी खबर भी है। दरअसल, धार्मिक क्षेत्रों में शराब बंदी से सरकार को 450 करोड़ का नुकसान होगा। ऐसे में इसकी भरपाई के लिए प्रदेश में शराब लगभग 20 फीसदी मंहगी होगी। 17 धार्मिक नगरों सहित 19 स्थानों पर 47 संयुक्त शराब की दुकानें (जहां भारत में निर्मित विदेशी शराब और देशी शराब दोनों बेची जाती हैं) एक अप्रैल से बंद कर दी जाएंगी.दरअसल सरकार के फैसले के बाद आबकारी विभाग ने 20 प्रतिशत अधिक दर पर दुकानों के आवंटन का प्रस्ताव बनाया है। साल 2025-26 में 20 प्रतिशत से अधिक दाम पर शराब की दुकानें नीलामी होगी। 80 प्रतिशत रकम जमा करने के बाद दुकान फिर से रिन्यू होगी, बाकी की दुकानों के लिए आबकारी विभाग लॉटरी और ई टेंडरिंग का सहारा लेगा। बता दें कि प्रदेश में लगातार शराब की खपत बढ़ रही है। इससे सरकार का हर साल 3000 करोड़ से अधिक का खजाना बढ़ रहा है। साल 2024-25 में अब तक 16 हजार करोड़ का रेवेन्यू मिला है। अभी वित्तीय वर्ष को खत्म होने में कुछ महीने और शेष है।

शराब बंदी से 450 करोड़ का नुकसान
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा मप्र के प्रमुख 17 धार्मिक नगरों में शराब बंदी की घोषणा और उस पर मंत्रि-परिषद की मोहर के बाद इसे वित्तीय वर्ष 2025-26 की आबकारी नीति में शामिल किया जा रहा है। धार्मिक क्षेत्रों में शराबबंदी से सरकार को लगभग 450 करोड़ रुपये राजस्व का नुकसान होगा। हालांकि नए वित्तीय वर्ष में सरकार 20 प्रतिशत उत्पाद शुल्क (ड्यूटी) बढ़ाने जा रही है, जिससे सरकार को विगत वर्ष से लगभग 2 हजार करोड़ रुपये अधिक राजस्व मिलने की संभावना है। वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए आबकारी विभाग का राजस्व लक्ष्य लगभग 16500 हजार करोड़ रखा गया है। शराब बंदी से होने वाले घाटे के बावजूद इस राजस्व लक्ष्य की पूर्ति शराब पर 20 प्रतिशत ड्यूटी बढ़ाकर की जाएगी। शराब रख सकते हैं या नहीं प्रदेश में ऐसा कोई कानून नहीं है। हालांकि भाजपा की वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती इसके लिए अभियान चला रही हैं। एक अधिकारी ने कहा कि विशुद्ध कानूनी दृष्टि से यह प्रतिबंध शराब की बिक्री बार में बैठकर शराब पीने आदि पर रोक लगाता है। हालांकि, व्यक्तियों पर कोई प्रतिबंध नहीं है। लोग व्यक्तिगत रूप से शराब रख सकते हैं और उसका सेवन कर सकते हैं, लेकिन समूह में नहीं। पूरे मध्य प्रदेश में 3,600 शराब दुकानें हैं, जिनसे हर साल लगभग 15,200 करोड़ रुपये का अनुमानित राजस्व प्राप्त होता है। मध्य प्रदेश के आबकारी आयुक्त अभिजीत अग्रवाल ने पुष्टि की कि 47 दुकानें बंद करने से राज्य को 450 करोड़ रुपये का नुकसान होगा। जिन स्थानों पर शराब की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया जाएगा, उनमें एक नगर निगम, छह नगर पालिका, छह नगर परिषद और छह ग्राम पंचायतें शामिल हैं। इन क्षेत्रों में उज्जैन, ओंकारेश्वर, महेश्वर, मंडलेश्वर, चित्रकूट और अमरकंटक जैसे धार्मिक केंद्र शामिल हैं।

80 प्रतिशत आवेदन पर दुकानों का नवीनीकरण
वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए सरेकार शराब दुकानों के निष्पादन के लिए सबसे पहले ठेकेदारों को नवीनीकरण का अवसर देगी। शराब दुकान/समूह का संचालन करने वाले ठेकेदार 20 प्रतिशत बढ़ी दर पर शराब दुकानों के ठेके ले सकेंगे। हालांकि नवीनीकरण की अनुमति तभी मिलेगी, जब इस प्रक्रिया से आवंटन के लिए 80 प्रतिशत अथवा उससे अधिक आवेदन विभाग को मिलेंगे। नवीनीकरण से नहीं उठने वाली शराब दुकानों/समूहों के लिए पहले लॉटरी सिस्टम से और इसके बाद ई-टेंडर से आवंटन किया जाएगा। शराब दुकानों के ठेके में ठेकेदार अब तक सुरक्षानिधि के रूप में ली जाने वाली प्रतिभूति राशि अब तक साधारण बैंक गारंटी एवं एफडीआर से जमा कराते थे। चूंकि विगत वर्षों में फर्जी बैंक गारंटी और फर्जी एफडीआर के कई प्रकरण सामने आ चुके हैं। इसलिए जालसाजी की संभावना को समाप्त करने के लिए आबकारी आयुक्त अभिजीत अग्रवाल के निर्देश पर इस बार प्रतिभूति राशि के रूप में सिर्फ ई-चालान अथवा ई-बैंक गारंटी ही ली जाएगी।

नई आबकारी नीति में कई बदलाव
नई आबकारी नीति में सरकार इस बार बारों की एक नवीन श्रेणी प्रारंभ करने जा रही है, जहां शराब नहीं बल्कि सिर्फ बीयर, वाईन और आरटीडी (रेडी टू ड्रिंक) का विक्रय ही किया जाएगा। सरकार ने यह निर्णय युवाओं में तेजी से बढ़ रही शराब की लत को हतोत्साहित करने के उद्देश्य से लिया है। वहीं मदिरा वेयर हाउसों पर सामान्य तालों के स्थान पर बायोमेट्रिक ताले लगाए जाएंगे। बार अब दुकानों को खरीदी गई शराब का भुगतान ऑनलाइन करेंगे। बार को मदिरा प्रदाय हेतु पूर्व में सिर्फ एक दुकान के स्थान पर एक प्राथमिक एवं एक अन्य सेकेंडरी दुकान से मैपिंग की जाएगी। बीयर लेबल का एक मुश्त राशि की भुगतान पर कितनी भी संख्या की लेबल पंजीयन की अनुमति होगी। बारों, बॉटलिंग इकाइयों के सभी प्रकार के निरीक्षण मोबाइल एप्लीकेशन के माध्यम से किए जा सकेंगे। प्रतिबंधित वन क्षेत्र में बार इकाइयों के मापदंडों का सरलीकरण किया जाएगा।

News Desk

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