छत्तीसगढ़राज्य

नहर मरम्मत घोटाले का भंडाफोड़: रिटायर्ड कर्मचारी ने खोला विभाग का राज़

गरियाबंद

जलसंसाधन अनुविभाग फिंगेश्वर में नहरों को क्षतिग्रस्त बता लाखो रुपए मरम्मत के नाम पर फर्जीवाड़ा करने का मामला सामने आया है. यह खुलासा रोबा के रहने वाले कृषक याद राम साहू ने किया है. आरटीआई के तहत जानकारी लेकर जब किसान ने अन्य किसानों और अनुभविभाग अफसरों के साथ मौके पर जांच करने निकले तब फर्जीवाड़े का पता चला. किसान द्वारा निकाले गए दस्तावेज के मुताबिक फिंगेश्वर वितरक शाखा नहर और टेल एरिया में भसेरा, पसौद, सीरीकला, रोबा समेत 10 से ज्यादा गांव को सिंचाई करने वाले कुल 9 नहरों को कुल 56 जगह में 1600 मीटर से भी ज्यादा लंबाई का क्षतिग्रस्त बताया गया.

इसकी मरम्मत के लिए 4600 प्लास्टिक बोरी में रेत भर कर क्षतिग्रस्त स्थलों का मरम्मत किया गया. मरम्मत से पहले स्थानों की साफ सफाई और अन्य मटेरियल के इस्तेमाल होने का जिक्र किया गया है. इसके एवज में कोरबा के डी क्लास ठेकदार विजय कुमार सहिस और इंडियन इंफ्रा बिल्ड नाम के फर्म को कुल 4.46 लाख का भुगतान किया गया. सारा कार्य वित्तीय वर्ष 2025 खत्म होने के ठीक 1 माह पहले 20 से 25 फरवरी के बीच कराया जाना दर्शाया गया है.

किसान को मरम्मत कार्य में काम करने वाले मजदूरों का मस्टररोल नहीं दिया गया, जिन्हें 2 लाख से ज्यादा का भुगतान किया गया है. कार्य फर्जी था इसलिए मस्टरोल तक गायब कर दिया गया है. किसान याद राम ने विभाग के रवैया देख कर सत्यापित दस्तावेजों के साथ मामले की लिखिए शिकायत एसपी से किया है.

सिंचाई सुविधा नदारद हुई तो खुली पोल, मरम्मत के नाम पर 1 करोड़ के बंदरबांट का दावा
किसान याद राम 4 साल पहले तक सिंचाई विभाग के टाइम कीपर का काम करता था. रिटायरमेंट के बाद किसानी कार्य में लग गया. इस खरीफ सीजन में नहरों से सिंचाई सुविधा मिलना बंद हो गया था. किसानों ने फिंगेश्वर सिंचाई दफ्तर का दो बार घेराव कर दिया. मौजूदा एसडीओ वी. वी. मलैया ने नहर मरम्मत का प्रस्ताव डिविजन कार्यालय भेजा. जल्द मरम्मत का आश्वासन मिला पर मरम्मत के लिए कोई नहीं आए. ऐसे में रिटायर्ड कर्मचारी याद राम को गड़बड़ी की आशंका हुई.

उन्होंने नहरों के मरम्मत की जानकारी आरटीआई के तहत मांगी. इसके बाद याद राम ने किसानों के साथ मिलकर अफसरों को माइनर नहरों का मुआयना कर क्षतिग्रस्त स्थान और मरम्मत के लिए भरे गए बोरों की तलाश भी की. इस दौरान ना तो टूट-फूट के कोई प्रमाण मिले और न ही मरम्मत के बोरे.

किसान ने इस गड़बड़ी के बाद पूरे फिंगेश्वर उपसंभाग के नहरों के मरम्मत की जानकारी निकलनी चाही लेकिन फिर बड़ा खेल कर दिया गया. सब डिविजन कार्यालय से मरम्मत कार्यों के रिकॉर्ड गायब कर दिए गए. किसानों का दावा है कि अकेले फिंगेश्वर अनुविभाग में नहरों और अन्य सिंचाई योजनाओं के मरम्मत के नाम पर फरवरी 2025 में फर्जी बिल लगाकर 1 करोड़ रुपए से ज्यादा का गबन किया गया है.

किसानों को सच्चाई बताने वाला एसडीओ किए गए दरकिनार
मार्च के पहले मरम्मत के बजट को खपाने राजिम के एसडीओ को एक माह के लिए स्पेशल प्रभार सौंपा गया था. मामला सामने आया तो पदस्थ एसडीओ मलैया ने किसानों को न केवल सच्चाई बताई, बल्कि पाई गई गड़बड़ी को लेकर डिविजन कार्यालय में पत्राचार किया. सब डिविजन से गायब मरम्मत कार्य के रिकॉर्ड को लेकर विभाग और एसपी तक पत्राचार कर दिया. पोल खुलते देख डिविजन के अफसरों ने मलैया को ही हटा दिया. हालांकि हाईकोर्ट से स्टे आर्डर लेकर फिर एसडीओ के प्रभार में मलैया मौजूद है, लेकिन उनसे वित्तीय प्रभार छीन लिया गया है.

फिंगेश्वर के एसडीओ सिंचाई अनुविभाग वी वी मलैया का इस पूरे मामले पर कहना है कि किसानों ने जानकारी निकाली, उनकी मांग पर स्थल निरीक्षण किसानों के साथ किया गया. मरम्मत कार्य मौके पर नहीं किए गए. माइनर नहरों में इतना क्षतिग्रस्त संभव भी नहीं है, जितना लंबाई क्षतिग्रस्त में बताया गया है उसी तो नहरों का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा. जांच के लिए डिविजन कार्यालय से मार्ग दर्शन मांगा गया है, जो अब तक अप्रप्त है.

News Desk

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