मध्यप्रदेशराज्य

प्रदेश में जल संरक्षण और संवर्धन के साथ ही जल का हो रहा इष्टतम उपयोग

भोपाल : मध्यप्रदेश सरकार द्वारा जल संरक्षण और जल संवर्धन के साथ ही जल के इष्टतम उपयोग में दक्षता के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। प्रदेश में दाबयुक्त सिंचाई प्रणाली के जरिए जल के अधिकतम उपयोग से जल के अपव्यय को कम किया गया है। इससे शेष जल का उपयोग सैंच्य क्षेत्र विस्तार, ग्रामीण एवं शहरी पेयजल आपूर्ति तथा अन्य क्षेत्रों में किया जाना संभव हो सकेगा। मोहनपुरा कुंडलियां की प्रेशराइज्ड पाइप प्रणाली की सफलता के बाद पार्वती-कालीसिंध-चंबल नदी जोड़ों परियोजना और केन-बेतवा नदी जोड़ों परियोजना के माध्यम से जल की अधिकता वाले क्षेत्रों से अतिरिक्त जल को सूखा प्रभावित क्षेत्रों में भेजने तथा भण्डारण करने से कृषि और घरेलू उपयोग के लिए जल की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सकेगी।

जल संसाधन विभाग के सचिव जॉन किंग्सली ए.आर. ने बुधवार को कुशाभाऊ ठाकरे इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर, भोपाल में आयोजित जल और पर्यावरण पर 3 दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (IPWE-2025) के प्रारंभ अवसर पर उक्त विचार व्यक्त किए। इस 3 दिवसीय प्रतिष्ठित सम्मेलन का आयोजन अमेरिकन सोसाइटी ऑफ सिविल इंजीनियर्स के पर्यावरण और जल संसाधन संस्थान और मध्यप्रदेश जल संसाधन विभाग एवं अंत्योदय प्रबोधन संस्थान के सहयोग से किया जा रहा है। सम्मेलन का मुख्य विषय है "जलवायु परिवर्तन के अनुकूल सतत् और मजबूत जल बुनियादी ढांचे का निर्माण।" इसमें विश्व भर से प्रतिष्ठित विशेषज्ञ, पर्यावरणविद, निर्माता और शोधकर्ता भाग ले रहे हैं। सम्मेलन में लगभग 125 शोध पत्रों की प्रस्तुति की जाएगी।

सम्मेलन जल और पर्यावरण से जुड़े प्रमुख मुद्दों पर नवीनतम प्रगति और सहयोगात्मक समाधानों पर चर्चा करने का एक मंच है। सम्मेलन में जल प्रबंधन से जुड़ी कई महत्वपूर्ण समस्याओं, विशेष रूप से स्थायी और मजबूत जल अवसंरचना का निर्माण और जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों का समाधान खोजने के लिए मंथन किया जाएगा। सम्मेलन में स्वच्छ जल आपूर्ति, जल संरक्षण, अपशिष्ट जल का उपचार, नदियों, बांधों और सिंचाई, जल उपयोग दक्षता, प्रणालियों का स्मार्ट प्रबंधन जैसे विषयों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। सम्मेलन में मोहनपुरा कुंडलियां परियोजना, केन-बेतवा लिंक परियोजना, साईं संकेत, जैन इरिगेशन, करण डेवलपर्स सर्विस सहित 30 से अधिक के स्टाल लगाए गए हैं।

इस अवसर पर अमेरिकन सोसायटी ऑफ सिविल इंजीनियर्स के अध्यक्ष फिनियोस्की पेना मोरा, अध्यक्ष पर्यावरण एवं जल संसाधन संस्थान शर्लि क्लार्क, सम्मेलन अध्यक्ष श्रीधर कमोज्जला, स्थानीय सम्मेलन अध्यक्ष व अधीक्षण यंत्री विकास राजौरिया, कैरोल ई हेडॉक, ब्रायन पारसंस, मेनिट डायरेक्टर करुणेश कुमार शुक्ला आदि उपस्थित थे।

सम्मेलन के प्रमुख विषय

             जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के अनुकूल रणनीतियाँ और खाद्य सुरक्षा।

             सतत सिंचाई प्रणाली: पाइप आधारित सिंचाई नेटवर्क के माध्यम से जल संरक्षण।

             भूजल प्रबंधन: भविष्य के लिए स्थायी भूजल प्रबंधन।

             बाढ़ जोखिम न्यूनीकरण: बदलते जलवायु पैटर्न के संदर्भ में बाढ़ प्रबंधन।

             स्मार्ट जल प्रणाली और सेंसर: जल वितरण और निगरानी के लिए नवीन तकनीक।

             शहरी जल प्रबंधन: शहरीकरण के साथ जल आपूर्ति, मांग और संरक्षण का संतुलन।

             अपशिष्ट जल उपचार और पुन: उपयोग: जैविक और जैव-इलेक्ट्रोकेमिकल तकनीकों का उपयोग।

             प्राकृतिक समाधान: अतिवृष्टि जल प्रबंधन और शहरी योजना के लिए पारिस्थितिकी तंत्र आधारित दृष्टिकोण।

             कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग: जल अवसंरचना में तकनीकी नवाचार।

             ऊर्जा और जल: जल विलयन, ऊर्जा संचयन और जल विद्युत समाधान।

 

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