राजनीति

आंबेडकर कंट्रोवर्सी, मल्लिकार्जुन खडग़े का काउंटर करने और मायावती के कमजोर होने पर संघ की रणनीति

नई दिल्ली।  भाजपा का अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष किसी दलित को अध्यक्ष बनाया जा सकता है। कहा जा रहा है कि राज्यसभा में गृह मंत्री अमित शाह के बयान पर कंट्रोवर्सी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े का काउंटर करने के साथ ही मायावती की कमजोरी का फायदा उठाने के लिए आरएसएस ने यह रणनीति बनाई है। कहा जा रहा है कि भाजपा के सामने इस संकट से निकलने का सबसे बड़ा स्टेप यही हो सकता है कि किसी दलित नेता को पार्टी प्रेसिडेंट पद पर बैठा दिया जाए। भाजपा की राजनीति वहीं से शुरू होती है जहां से विपक्ष और आम लोग सोचना बंद कर देते हैं। इसलिए यह कहना आसान नहीं है कि भाजपा में कौन अध्यक्ष बन रहा है। पर परिस्थितियां जैसी बन रही हैं उसके हिसाब से तो भाजपा  के लिए सबसे अधिक सुटेबल अध्यक्ष किसी दलित जाति से ताल्लुक रखने वाला ही हो सकता है।कांग्रेस ने 2024 के लोकसभा चुनावों के काफी पहले मल्लिकार्जुन खडग़े जैसे वरिष्ठ दलित नेता को पार्टी प्रेसिडेंट पद पर पहुंचाकर अपना संदेश दे दिया था। कांग्रेस की यह रणनीति कारगर भी रही। कर्नाटक विधानसभा चुनावों और लोकसभा चुनावों में पार्टी के पक्ष में दलित वोटों को सीधे मूव करते देखा गया है। जबकि पिछले कई चुनावों से दलित वोट हार्डकोर दलित राजनीति करने वाली पार्टियों और भाजपा में बंट रहा था। पर 2024 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को उत्तर से दक्षिण तक के राज्यों में दलित वोटों का भरपूर साथ मिला। भारतीय जनता पार्टी को कांग्रेस के इस कार्ड की काट के लिए कुछ कुछ वैसा ही करना होगा। जाहिर है कि देश का प्रेसिडेंट पद बीजेपी की तरफ से एक आदिवासी महिला को दिया गया है तो पार्टी प्रेसिडेंट भी किसी दलित महिला को दिया जा सकता है।

आरएसएस भी चाहेगा कि कोई दलित अध्यक्ष बने
भाजपा के इतिहास में तो दलित नेता अध्यक्ष पद तक पहुंच चुका है। पर आरएसएस के इतिहास में कभी कोई दलित नेता संगटन के सबसे बड़े पद तक नहीं पहुंचा है। इस बात के लिए अक्सर आरएसएस पर विपक्ष तंज भी कसता रहा है। यही कारण है कि कोई दलित नेता बीजेपी का अध्यक्ष बनता है दो निश्चित रूप से संघ उसका समर्थन करेगा। हालांकि ऐसे लोगों की संख्या बहुत ही कम है जो आरएसएस का समर्थन भी रखते हैं और मजबूत संगठनात्मक अनुभव भी रखते हों। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार ऐसे दलित नेता जिनकी संभावित उम्मीदवारों में नाम आगे चल रहा है उनसमें केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, बीजेपी महासचिव दुष्यंत गौतम और उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री बेबी रानी मौर्य के नाम चर्चा में हैं। अर्जुन राम मेघवाल की एजुकेशन और मोदी सरकार में मिली उनकी अहम जिम्मेदारियों के चलते ऐसा लगता है कि इस रेस में वो सबसे आगे हो सकते हैं। बेबी रानी मौर्या को भी जिस तरह कुछ साल पहले उत्तराखंड के राज्यपाल पद से त्यागपत्र दिलवाकर मेन स्ट्रीम राजनीति में वापसी करवाई गई थी उससे उनके नाम के महत्व को आंका जा सकता है। हालांकि, जैसा इतिहास बताता है उसके हिसाब से यह असंभव नहीं है कि कोई ऐसा चेहरा भी आ जाए जिसे कोई जानता भी न हो। मोदी की पिछली पसंदों को देखते हुए, यह एक लो-प्रोफाइल और भरोसेमंद नेता भी हो सकता है।

News Desk

The News Desk at Janmorcha.in is committed to delivering timely, accurate, and in-depth coverage of the latest events from across the globe. Our team of seasoned journalists and editors work tirelessly to ensure that our readers are informed with the most current and reliable news. Whether it's breaking news, politics, sports, or entertainment, the News Desk is dedicated to providing comprehensive analysis and insights that matter to our audience. Trust the News Desk at Janmorcha.in to keep you informed with the news that shapes the world around us.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button