राज्य

जमीन के डॉक्युमेंट्स को लेकर आया बड़ा अपडेट

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग अब जमीन के डिजिटाइज्ड दस्तावेजों की गुणवत्ता की जांच करेगा। डिजिटाइजेशन का जिम्मा निजी एजेंसी को दिया गया था, लेकिन उसके काम की गुणवत्ता की जांच नहीं हुई। इसके कारण इसे विभागीय पोर्टल पर अपलोड नहीं किया गया है। विभाग के सचिव ने सभी जिलाधिकारियों को कहा है कि वे अपने स्तर से जांच करा कर संतुष्ट हो लें। उसके बाद दस्तावेजों को पोर्टल पर अपलोड करें।

विभाग ने मेसर्स कैपिटल सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड, हरियाणा को डिजिटाइजेशन का जिम्मा दिया है। वह एजेंसी अंचल एवं जिला अभिलेखागारों में रखे जमीन एवं राजस्व के अभिलेखों की स्कैनिंग एवं डिजिटाइजेशन कर रही है, लेकिन एजेंसी के काम की गुणवत्ता की विधिवत जांच नहीं हो रही है। इसके कारण रैयतों को जमीन के अभिलेखों की प्रति नहीं मिल पा रही है।

जय सिंह ने अपने पत्र में लिखा है-भू अभिलेखों की प्रति उपलब्ध नहीं होने के कारण रैयतों में असंतोष की भावना बढ़ रही है। विभाग की छवि धूमिल हो रही है।जिलाधिकारियों को कहा गया है कि अपर समाहर्ता एवं भूमि सुधार उप समाहर्ता को जांच का जिम्मा दिया जाए।

अंचलाधिकारी करेंगे मॉनिटरिंग

विभागीय सचिव ने दूसरे पत्र में जिलाधिकारियों को कहा है कि वे जमाबंदी पंजी (रजिस्टर टू) का स्कैनिंग प्राथमिकता के स्तर पर कराएं। पत्र में उन अंचलों की सूची भी शामिल है, जहां रजिस्टर टू की स्कैनिंग नहीं हुई है। मानिटरिंग की जवाबदेही अंचलाधिकारियों को दी गई है।

पत्र में कहा गया है कि राज्य में द्रुत गति से भूमि सर्वेक्षण चल रहा है। यह राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है। इसकी समीक्षा उच्च स्तर पर की जा रही है। जमाबंदी पंजी की ऑनलाइन अनुपलब्धता के कारण रैयतों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए स्कैनिंग को प्राथमिकता दें। यह विषय पिछले तीन साल से विभाग की प्राथमिकता सूची में है।

28 से 30 करोड़ दस्तावेज

फिलहाल, 36 प्रकार के राजस्व अभिलेखों को डिजिटाइज एवं स्कैन करने का काम चल रहा है। इनमें खतियान और रजिस्टर टू की प्रति भी शामिल है। इन्हें भू-अभिलेख पोर्टल से जाकर फ्री में देखा जा सकता है और मामूली शुल्क देकर डाउनलोड किया जा सकता है। एक अनुमान के अनुसार, बिहार में 28 से 30 करोड़ राजस्व दस्तावेज हैं जिनमें से आधे से अधिक को डिजिटाइज एवं स्कैन किया जा चुका है।

जमीन के उपयोग की प्रकृति में बदलाव के कारण मुआवज वितरण में परेशानी

जमीन के उपयोग की प्रकृति में बदलाव के कारण मुआवजा निर्धारण और वितरण में परेशानी हो रही है। पुराने रिकॉर्ड में कोई जमीन कृषि कार्य के लिए चिह्नित है। अब उसका निबंधन आवास, उद्योग या कारोबार की श्रेणी में हो गया है। ऐसे मामलों में मुआवजा निर्धारण में कठिनाई होती है। गुरुवार को पटना में आयाेजित जिला भू अर्जन पदाधिकारियों के एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में यह मुद्दा उठा।

उन्होंने अधिकारियों से कहा कि भू-अर्जन में आ रही साधारण दिक्कतों का निष्पादन अपने स्तर से सुनिश्चित करें। प्रायः यह देखा गया है कि अधिकारी के स्तर पर सुलझने वाले मामले भी मुकदमे में चले जाते हैं। इससे भू-अर्जन पुनर्वासन व व्यवस्थापन प्राधिकार (लारा कोर्ट) में लंबित मामलों की संख्या बढ़ गई है।

विभाग के सचिव जय सिंह ने कहा कि भूमि सर्वेक्षण एक जटिल प्रक्रिया है। इसमें आ रही समस्याओं के समाधान के लिए विभाग द्वारा समय- समय पर अलग अलग प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। कार्यक्रम में निदेशक भू अर्जन कमलेश कुमार सिंह, भू-अभिलेख एवं परिमाप निदेशक जे प्रियदर्शिनी तथा भू अर्जन सहायक निदेशक आजीव वत्सराज एवं अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।

News Desk

The News Desk at Janmorcha.in is committed to delivering timely, accurate, and in-depth coverage of the latest events from across the globe. Our team of seasoned journalists and editors work tirelessly to ensure that our readers are informed with the most current and reliable news. Whether it's breaking news, politics, sports, or entertainment, the News Desk is dedicated to providing comprehensive analysis and insights that matter to our audience. Trust the News Desk at Janmorcha.in to keep you informed with the news that shapes the world around us.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button