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गोमूत्र के औषधीय गुणों पर आईआईटी मद्रास के निदेशक वी. कामकोटि के वायरल वीडियो पर बवाल

चेन्नई: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास के निदेशक वी. कामकोटि का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इस वीडियो में वे गोमूत्र के 'औषधीय गुणों' की तारीफ करते नजर आ रहे हैं। वी. कामकोटि देशी नस्ल की गायों की रक्षा और जैविक खेती अपनाने के महत्व पर बोल रहे थे।

मट्टू पोंगल (15 जनवरी, 2025) के दिन यहां 'गो संरक्षण शाला' में आयोजित एक कार्यक्रम में कामकोटि ने यह बात कही। उन्होंने यह टिप्पणी एक साधु के जीवन का किस्सा सुनाते हुए की, जिसने तेज बुखार होने पर गोमूत्र का सेवन किया और ठीक हो गया। कथित तौर पर निदेशक ने गोमूत्र के "एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-फंगल और पाचन में सुधार करने वाले गुणों" के बारे में बात की और कहा कि यह बड़ी आंत से संबंधित बीमारी 'इरिटेबल बाउल सिंड्रोम' जैसी समस्याओं के लिए उपयोगी है, और इसके "औषधीय गुणों" पर विचार करने की वकालत की।

विरोधियों ने कहा कि यह सत्य के विरुद्ध और "शर्मनाक" है

उन्होंने यह टिप्पणी जैविक खेती के महत्व और कृषि तथा समग्र अर्थव्यवस्था में देशी नस्ल के मवेशियों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालते हुए की। दूसरी ओर, तर्कवादी संगठन द्रविड़ कझगम ने गोमूत्र पर उनकी टिप्पणी की आलोचना करते हुए कहा कि यह सत्य के विरुद्ध और "शर्मनाक" है। डीएमके नेता टीकेएस एलंगोवन ने कामकोटि की टिप्पणी को लेकर उन पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि केंद्र सरकार की मंशा देश में शिक्षा को "बर्बाद" करना है। थानथाई पेरियार द्रविड़ कझगम के नेता के. रामकृष्णन ने कहा कि कामकोटि को अपने दावे के लिए सबूत देने चाहिए या माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा, "अगर वह माफी नहीं मांगते हैं, तो हम उनके खिलाफ प्रदर्शन करेंगे।"

कार्ति चिदंबरम ने भी उठाए सवाल

कांग्रेस नेता कार्ति पी. चिदंबरम ने कामकोटि की टिप्पणी की निंदा करते हुए कहा, "आईआईटी मद्रास के निदेशक द्वारा इस तरह की बात का प्रचार करना अनुचित है।" आईआईटी निदेशक ने गायों की रक्षा के लिए 'गौ संरक्षण' पर जोर देते हुए कहा कि इससे आर्थिक, पोषण और पर्यावरणीय लाभ हैं। कामकोटि ने कहा, "अगर हम उर्वरकों का उपयोग करते हैं, तो हम भूमि माता (पृथ्वी) को भूल सकते हैं। जितनी जल्दी हम जैविक, प्राकृतिक खेती को अपनाएंगे, उतना ही हमारे लिए बेहतर होगा।" 17 जनवरी 2022 से आईआईटी मद्रास के निदेशक हैं कामकोटि: आईआईटी-मद्रास के शीर्ष प्रोफेसर ने आरोप लगाया कि ब्रिटिश शासन भारत को गुलाम बनाने के लिए अर्थव्यवस्था की मूल चीज देशी गायों को खत्म करने के पक्ष में था।

कामकोटि के करीबी सूत्रों ने कहा कि उन्होंने गौशाला कार्यक्रम में बात की, लेकिन वह खुद एक 'जैविक किसान' हैं और उनकी टिप्पणियाँ व्यापक संदर्भ में थीं। प्रोफेसर कामकोटि ने 17 जनवरी 2022 को आईआईटी-मद्रास के निदेशक के रूप में कार्यभार संभाला। उन्हें वैज्ञानिक अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए डीआरडीओ अकादमी उत्कृष्टता पुरस्कार (2013) और अन्य पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।

News Desk

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