इंदौर के वार्ड 66 में नशे के बढ़ते जाल पर पार्षद ने की पुलिस से सख्त कार्रवाई की मांग
इंदौर में नशे का जाल तेजी से फैलता जा रहा है, और इसका सबसे बड़ा शिकार युवा पीढ़ी बन रही है। हर क्षेत्र से नशे की शिकायतें सामने आ रही हैं, जहां युवा और बच्चे इसकी चपेट में आकर अपना भविष्य खराब कर रहे हैं। पुलिस की कार्रवाई के बावजूद नशे के सौदागर नए-नए रूप में बाजार में लौट आते हैं और मासूम बच्चों से लेकर युवाओं तक को अपना निशाना बना लेते हैं। वार्ड क्रमांक 66 भी इससे अछूता नहीं है। यहां बड़ी संख्या में युवा और बच्चे नशे की गिरफ्त में आ रहे हैं। स्थानीय निवासियों ने इस समस्या को लेकर कई बार शिकायतें दर्ज करवाईं, लेकिन इसका स्थायी समाधान नहीं हो सका।
नशे की बढ़ती समस्या को देखते हुए वार्ड 66 की पार्षद कंचन गिदवानी ने स्थिति की गंभीरता को समझते हुए कदम उठाया और जूनी इंदौर थाने पहुंचीं। उन्होंने टीआई अनिल गुप्ता से मुलाकात कर नशे के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। उन्होंने बताया कि वार्ड की सभी कालोनियों से नशे की शिकायतें लगातार आ रही हैं। खासतौर पर पान की दुकानों पर ई-सिगरेट बेचे जाने की घटनाएं सामने आ रही हैं, जिन्हें बच्चों तक को आसानी से बेचा जा रहा है। यह स्थिति बेहद चिंताजनक है क्योंकि इससे बच्चे और युवा नशे के दलदल में फंसते जा रहे हैं।
पार्षद ने पुलिस से दिन के समय भी क्षेत्र में गश्त बढ़ाने की मांग की ताकि नशे के कारोबार में लिप्त लोगों पर कार्रवाई की जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो युवा पीढ़ी का भविष्य पूरी तरह अंधकारमय हो जाएगा। पार्षद के साथ सांसद प्रतिनिधि विशाल गिदवानी, वार्ड संयोजक दलाल बजाज, भाजपा नेता नरेश फूंदवानी और ऋषि सिंह सोलंकी भी मौजूद थे। इन सभी ने पुलिस से इस गंभीर समस्या को जल्द सुलझाने की अपील की। टीआई ने पार्षद की बातों को गंभीरता से सुना और कहा कि वे इस मामले को वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में लाएंगे। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि नशे के कारोबार में लिप्त लोगों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, फिलहाल कोई ठोस योजना या त्वरित कार्रवाई का ऐलान नहीं किया गया है।
नशे के कारण समाज पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव और इसके बढ़ते खतरे को देखते हुए यह समस्या केवल एक वार्ड तक सीमित नहीं है। शहर के हर हिस्से से ऐसी ही शिकायतें सामने आ रही हैं। पुलिस द्वारा की जाने वाली कार्रवाई के बावजूद नशे के सौदागर अलग-अलग तरीके अपनाकर फिर से सक्रिय हो जाते हैं। यह न केवल कानून व्यवस्था के लिए चुनौती है, बल्कि समाज के लिए भी चिंता का विषय है।