मध्यप्रदेशराज्य

स्वास्थ्य सेवाओं को नवजातों और गर्भवती महिलाओं तक प्रभावी ढंग से पहुंचाना सरकार का लक्ष्य: उप मुख्यमंत्री शुक्ल

भोपाल : उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने कहा है कि एसएनसीयू की समर्पित टीम, नर्सिंग स्टाफ की कड़ी मेहनत और अथक प्रयासों से हम कई नवजातों की जान बचाने में सफल हो रहे हैं। राज्य सरकार का उद्देश्य है कि स्वास्थ्य सेवाओं को नवजातों और गर्भवती महिलाओं तक प्रभावी ढंग से पहुँचाया जाए। एसएनसीयू हमारे इस संकल्प को साकार करने में अहम भूमिका निभा रही है। सरकार की कोशिश है कि शिशु मृत्यु दर और मातृ मृत्यु दर को कम करते हुए राज्य को स्वास्थ्य के क्षेत्र में अग्रणी बनाया जाए।

उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने एसएनसीयू की सेवाओं से प्राप्त परिणामों पर आशा व्यक्त की है कि वे इसी समर्पण और प्रतिबद्धता के साथ काम करते रहेंगे। एसएनसीयू की ये सफल कहानियाँ सरकार की समर्पित नीति और स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति प्रतिबद्धता का परिणाम हैं। इन प्रयासों से राज्य के स्वास्थ्य मानकों में निरंतर सुधार हो रहा है, जो स्वस्थ भविष्य की दिशा में एक मजबूत कदम है।

राज्य में 62 एसएनसीयू हैं संचालित

एसएनसीयू (स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट) मध्यप्रदेश में गंभीर नवजात शिशुओं की विशेष देखभाल में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। अत्याधुनिक सुविधाओं और समर्पित चिकित्सकीय टीम की बदौलत, यहां नवजातों को जीवनरक्षक देखभाल दी जा रही है, जो राज्य के स्वास्थ्य ढांचे को और मजबूत बना रही है। वर्तमान में राज्य में 62 एसएनसीयू संचालित हैं, जिनमें 1 हज़ार 654 बिस्तरों की सुविधा उपलब्ध है। 2023-24 में 1 लाख 31 हज़ार 130 नवजातों का सफलतापूर्वक उपचार किया गया, जबकि 2024-25 में (अप्रैल से 31 अगस्त तक) 56 हज़ार 558 नवजातों का इलाज हुआ। राज्य सरकार ने नवजात देखभाल सेवाओं को उप-जिला स्तर तक बढ़ाते हुए 199 NBSUs (न्यूबॉर्न स्टेबलाइजेशन यूनिट्स) भी स्थापित की हैं, जिनमें 796 बिस्तर उपलब्ध हैं। वर्ष 2023-24 में 38 हज़ार 392 नवजात शिशुओं का उपचार किया गया, जबकि 2024-25 (अप्रैल से 31 अगस्त 2024 तक) कुल 14 हज़ार 858 नवजातों का इलाज किया गया है।

रतलाम के नवजात का सफल इलाज

मेडिकल कॉलेज रतलाम में 7 अगस्त 2024 को गर्भवती महिला श्रीमती राधा पति सुरेश को भर्ती किया गया था, जिनका समय पूर्व प्रसव हुआ। नवजात शिशु का वजन मात्र 835 ग्राम था और उसे सांस लेने में कठिनाई हो रही थी। एसएनसीयू की टीम ने तुरंत बच्चे को वेंटिलेटर पर रखा और जीवनरक्षक दवाइयां शुरू कीं। अगले 5 दिनों बाद, नवजात की स्थिति में सुधार आया और उसे वेंटिलेटर से हटा दिया गया। कंगारू मदर केयर के तहत नवजात का वजन 48 दिनों में बढ़ाकर 1 किलो 300 ग्राम किया गया और उसे सफलतापूर्वक डिस्चार्ज किया गया।

कंगारू मदर केयर से स्वस्थ हुई बड़वानी की नवजात बालिका

बड़वानी जिले के ललवानिया गांव की प्रमिला पति रमेश की बच्ची का जन्म 900 ग्राम वजन के साथ हुआ। उसे गंभीर स्थिति में एसएनसीयू में भर्ती किया गया, जहाँ उसकी हालत बेहद नाजुक थी। बच्ची को 6 दिन वेंटिलेटर पर रखा गया और कंगारू मदर केयर के माध्यम से उसकी स्थिति में सुधार हुआ। अंततः 2 महीने के उपचार के बाद बच्ची का वजन 1 किलो 400 ग्राम हो गया और उसे डिस्चार्ज कर दिया गया। उल्लेखनीय है कि कंगारू मदर केयर (केएमसी) एक ऐसी तकनीक है जिसमें समय से पहले जन्मे या कम वजन वाले शिशुओं को मां या किसी अन्य देखभालकर्ता की छाती पर त्वचा से त्वचा का संपर्क कराया जाता है। इसमें स्तनपान कराना भी शामिल हैं।

News Desk

The News Desk at Janmorcha.in is committed to delivering timely, accurate, and in-depth coverage of the latest events from across the globe. Our team of seasoned journalists and editors work tirelessly to ensure that our readers are informed with the most current and reliable news. Whether it's breaking news, politics, sports, or entertainment, the News Desk is dedicated to providing comprehensive analysis and insights that matter to our audience. Trust the News Desk at Janmorcha.in to keep you informed with the news that shapes the world around us.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button