मध्यप्रदेशराज्य

पहले कुछ मात्रा में जलाकर कोर्ट में पेश होगी रिपोर्ट

ग्रीन कॉरीडोर के माध्यम से रामकी कंपनी पंहुचा 337 टन जहरीला कचरा

भोपाल । यूनियन कार्बाइड कारखाने का 337 टन जहरीला कचरा गुरूवार सुबह 4:00 बजे रामकी कंपनी पहुंच चुका है। भोपाल से पीथमपुर तक 250 किलोमीटर का ग्रीन कॉरीडोर बनाया गया था। जिसमें जगह-जगह पुलिस तैनात रही। कड़ी सुरक्षा के बीच भोपाल, सीहोर, देवास, इंदौर होते हुए यह कंटेनर पीथमपुर स्थित रामकी कंपनी पहुंचाया गया। कुछ मात्रा में इस कचरे को जलाकर न्यायालय में इसकी रिपोर्ट प्रस्तुत की जाना है। पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड आपदा प्रबंधन सहित कई अधिकारी भी मौके पर हैं।भोपाल की यूनियरन कार्बाइट फैक्टरी से चालीस साल बाद कचरा साफ हुआ है। पांच हजार मौतों की वजह बने इस जहरीले कचरे ने आठ घंटे में ढाई सौ किलोमीटर का सफर तय किया और भोपाल से पीथमपुर पहुंचा। कोहरे के कारण यह सफर ज्यादा कठिन हो गया था। वाहनों की स्पीड 40 से 50 किलोमीटर प्रति घंटा रखी गई। कंटेनरों को चढ़ाने में सावधानी बरती गई।  

 कंटेनरों पर लिखा था खतरनाक अपशिष्ट
12 कंटेनरों में दो-दो ड्रायवरों को तैनात किया गया था। कर्मचारी पीपीई कीट पहने बैठे हुए थे। फैक्टरी से कंटेनरों में कचरे को भरने के लिए तीन दिन का समय लगा। विशेष बैगों में 337 टन कचरे को भरा गया है। कंटेनरों पर खतरनाक अपशिष्ट लिखा हुआ था। नीले रंग के इन कंटेनरों के पीछे भी पुलिस वाहन चल रहे थे। कोहरे के कारण कंटेनरों की स्पीड 40 किलोमीटर प्रति घंटा रखी गई। जहरीले कचरे से भरे कंटेनरों के साथ एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड आदि टीमों के वाहन भी रवाना हुए थे। इस तरह करीब 18 वाहन शामिल थे। इस कचरे को कंटेनरों में लोडिंग के काम में डेढ़ सौ मजदूरों ने पंद्रह शिफ्ट में काम करके कचरे को कंटेनरों में अपलोड कराया।

ऐसे नष्ट होगा जहरीला कचरा
बता दें कि यह जहरीला कचरा पीथमपुर इंडस्ट्रियल वेस्ट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड में नष्ट किया जाएगा। यह खतरनाक जहरीला कचरा जिस जगह नष्ट किया जाएगा, उस क्षेत्र के पास रहवासी इलाका है, जिससे लोगों की सुरक्षा को लेकर अतिरिक्त सावधानी बरती जा रही है।  यहां जहरीले कचरे को नष्ट करने के लिए विशेष भट्टी बनाई गई है। जानकारी के मुताबिक, यदि  90 किलोग्राम प्रति घंटे की मानक दर से इसको जलाया जाए तो भी इसे नष्ट करने में 153 दिन यानी 5 महीने का समय लगेगा। कचरा जलाने के बाद बची हुई राख का परीक्षण किया जाएगा और उसे दो परत वाली सीट से ढका जाएगा फिर इस राख को सुरक्षित लैंडफिल वाली साइट पर इसे दफना दिया जाएगा।

News Desk

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