विदेशी नौकरी घोटाला: दिल्ली में फर्जी वीजा बनाने और नौकरी के नाम पर ठगी करने तीन आरोपी गिरफ्तार
दिल्ली: अपराध शाखा ने फर्जी वीजा रैकेट का पर्दाफाश कर तीन जालसाजों चंदन बरनवाल, डॉ. आजाद प्रताप राव और रितेश तिवारी को गिरफ्तार किया है। सभी हट्टा, कुशीनगर के निवासी हैं। रितेश तिवारी MBA/BBA डिग्री होल्डर व डॉ. आजाद प्रताप ने ऑप्टोमेट्री में डिप्लोमा किया हुआ है। आरोपी खुद को VFS ग्लोबल का कर्मचारी बताते थे।
खुद को VFS अधिकारी बताकर की ठगी
इनके कब्जे से घोटाले में इस्तेमाल किए गए मोबाइल फोन और बैंक खाते बरामद बरामद किए गए हैं। इन्होंने विदेशी नौकरी चाहने वालों से बड़ी रकम वसूली। उन्हें विभिन्न देशों में नियुक्ति पत्र और वीजा देने का वादा किया। अपराध शाखा के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त संजय भटिया के अनुसार, वीजा, पासपोर्ट और काउंसलर सेवाओं के लिए आउटसोर्सिंग और प्रौद्योगिकी सेवाएं प्रदान करने वाली कंपनी VFS ग्लोबल में सलाहकार आनंद सिंह ने शिकायत दर्ज कराई थी, कि परवीन साहू और अजीत साहू ने फेसबुक, इंस्टाग्राम, लिंक्डइन और टेलीग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए खुद को VFS अधिकारी बताकर आवेदकों से बड़ी रकम के बदले जाली वीजा और नियुक्ति पत्र जारी किए।
2.5 लाख रुपये की ठगी
ऑनलाइन प्रोफाइल में VFS लोगो का दुरुपयोग किया और धोखाधड़ी वाले ईमेल आईडी के जरिए पीड़ितों से बात की। जांच में आरोपियों के 6 फेसबुक/जीमेल खातों का विवरण गूगल पर मिला। आईडी/ऑनलाइन सोशल मीडिया खातों के लिए विभिन्न लोगों के नाम पर कई सिम का इस्तेमाल किया था।
तकनीकी जांच में एक पीडि़त की पहचान आमिल शेख के रूप में हुई। पोलैंड के वीजा के लिए नियुक्ति पत्र के लिए उनसे 2.5 लाख रुपये की ठगी की गई। पुलिस ने कई ईमेल आईडी, फर्जी सिम कार्ड और VFS रिकॉर्ड का विश्लेषण किया। इसके बाद गिरोह मास्टरमाइंड चंदन बरनवाल, जिसका फर्जी नाम परवीन साहू था, को छह नवंबर को यूपी से गिरफ्तार किया गया। चंदन बरनवाल ने खुलासे के बाद उसके साथी रितेश तिवारी और आजाद प्रताप राव को भी पकड़ लिया।
इंस्टाग्राम और लिंकडिन का किया इस्तेमाल
आरोपी ने खुद को VFS अधिकारी दिखाने के लिए कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म यानी फेसबुक/इंस्टाग्राम/लिंकडिन आदि का इस्तेमाल किया। वह सोशल मीडिया के माध्यम से वीजा नियुक्ति पत्र के लिए जरूरतमंद लोगों से संपर्क करते थे और उन्हें बताते थे कि वह हर श्रेणी के लिए वीजा नियुक्ति पत्र प्रदान करेंगे। मूल रूप से, वे उन लोगों को शिकार बनाते थे जिन्हें रोजगार वीजा की आवश्यकता होती थी। आरोपी लोगों को बहला-फुसलाकर अलग-अलग खातों में अच्छी रकम ट्रांसफर करवाते थे। इस पर वह पर्यटक/व्यावसायिक श्रेणी का वीजा नियुक्ति पत्र लेते थे और लव पीडीएफ एडिटर की मदद से उसे रोजगार श्रेणी में परिवर्तित कर देते थे।
सोशल मीडिया के जरिए विदेश भेजने का झांसा
हट्टा, कुशीनगर निवासी रितेश गोरखपुर, यूपी से MBA/BBA डिग्री धारक भी है। वह पहले भीकाजी कामा पैलेस में इमिग्रेशन कंसल्टेंसी में लगी एक कंपनी में काम करता था। वह चंदन बरनवाल के साथ मिलकर सोशल मीडिया के जरिए पीडि़तों से संपर्क करता था और उन्हें ठगता था। वह इस घोटाले का मास्टरमाइंड है। हट्टा, कुशीनगर निवासी चंदन बरनवाल कंप्यूटर का अच्छा ज्ञान रखता है। वह रितेश के साथ मुख्य साजिशकर्ता है। स्नातक डिग्री होल्डर डॉ. आज़ाद प्रताप राव ऑप्टोमेट्री में डिप्लोमा धारक हैं और हट्टा में क्लिनिक भी चलाता था।