कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एसएम कृष्णा का 92 वर्ष की उम्र में निधन
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व विदेश मंत्री एसएम कृष्णा का निधन हो गया है। वह 92 साल के थे, पूर्व मुख्यमंत्री एसएम कृष्णा ने 10 दिसंबर सुबह करीब 2:30 बजे बेंगलुरु के सदाशिवनगर स्थित अपने आवास में आखिरी सांस ली। एसएम कृष्णा को हाल ही में उम्र संबंधी बीमारी के कारण बेंगलुरु के मणिपाल अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
सूत्र के मुताबिक, उनके पार्थिव शरीर को आज मद्दूर ले जाने की संभावना है। सोमनहल्ली मल्लैया कृष्णा के परिवार में उनकी पत्नी प्रेमा और दो बेटियां शांभवी और मालविका हैं।
2023 में मिला था पद्म विभूषण
1 मई, 1932 को कर्नाटक के मांड्या जिले के सोमनहल्ली में जन्मे सोमनहल्ली मल्लैया कृष्णा ने 1962 में मद्दुर विधानसभा सीट से निर्दलीय जीतकर चुनावी राजनीति में अपना करियर शुरू किया था। कांग्रेस में शामिल होने से पहले वह प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से जुड़े थे। 2023 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। जानकारी के लिए बता दें कि वे राजीव गांधी के शासन में उद्योग और वित्त राज्यमंत्री और इंदिरा गांधी के शासन में कैबिनेट मंत्री रहे।
2017 में ज्वाइन की थी बीजेपी
बाद में वह मार्च 2017 में बीजेपी में शामिल हो गए और कांग्रेस के साथ उनका लगभग 50 साल पुराना रिश्ता खत्म हो गया। उन्होंने जनवरी 2017 में कांग्रेस से अपने इस्तीफे की घोषणा करते हुए कहा कि पार्टी इस बात पर "भ्रम की स्थिति" में है कि उसे बड़े नेताओं की जरूरत है या नहीं। कृष्णा ने पिछले साल जनवरी में अपनी उम्र को कारण बताते हुए घोषणा की थी कि वह सक्रिय राजनीति से संन्यास ले रहे हैं। वह 11 अक्टूबर 1999 से 28 मई 2004 तक कर्नाटक के 16वें मुख्यमंत्री थे।
कब बने थे विदेश मंत्री?
एसएम कृष्णा ने महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में भी कार्य किया और 2009 से 2012 तक मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार के दौरान विदेश मंत्री थे।
प्रियांक खरगे ने जताया दुख
कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खरगे ने भी उनकी निधन पर दुख व्यक्त किया। उन्होंने एक्स पर लिखा, 'कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री श्री एस.एम. कृष्णा के निधन से गहरा दुख हुआ, जिनके नेतृत्व और सार्वजनिक सेवा की विरासत ने हमारे राज्य और राष्ट्र पर एक अमिट छाप छोड़ी है। उनकी दूरदर्शिता और समर्पण ने कर्नाटक की प्रगति को आकार दिया और बेंगलुरु के लिए प्रशासन के प्रति उनके कॉर्पोरेट दृष्टिकोण ने उन्हें कई लोगों का चहेता बना दिया।
प्रियांक खरगे ने आगे कहा, 'हम अभी भी बेंगलुरु को एक वैश्विक शहर के रूप में स्थापित करने के उनके दृष्टिकोण का लाभ उठा रहे हैं। उनकी आत्मा को शांति मिले और उनका योगदान आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहे।'