छत्तीसगढ़राज्य

जवानी में 6 साल की बच्ची के साथ दरिंदगी किया, आरोपी को सजा पूरा करने बुढ़ापा में जेल जाना होगा, हाई कोर्ट ने 23 वर्ष बाद अपील खारिज किया

बिलासपुर। जवानी में 6 साल की मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म करने का प्रयास करने के आरोपी की अपील को खारिज किया है। कोर्ट ने आरोपी को चार स’ाह के अंदर सरेंडर करने का आदेश दिया है। अगर आरोपी तय समय में सरेंडर नहीं करता है तो पुलिस उसे गिरफतार कर जेल दाखिल करे एवं अदालत को सूचना देगी। 24 साल बाद निर्णय आया है।
दुर्ग जिला निवासी 35 वर्षीय आरोपी अगस्त 2001 को खेल रही 6 साल की मासूम बच्ची को अपने घर ले गया व बेड रूम में ले जाकर उसके कप?े उतार दुष्कर्म का प्रयास किया। बच्ची रोते हुए उसके घर से बाहर आई। बच्ची की मां ने रोने का कारण पूछा तो उसने बताई कि उसके अंडरगारमेंट गीला हो गया है एवं आरोपी द्बारा किए गए कृत्य की जानकारी दी। मां ने मामले की रिपोर्ट लिखाई। पुलिस ने मेडिकल एवं आवश्यक कार्रवाई उपरांत आरोपी को धारा 376, 511 के तहत गिरफतार कर न्यायालय में चालान पेश किया। न्यायालय ने पी?िता मासूम के बयान, गवाहों के बयान सहित 9 गवाहों का प्रतिपरीक्षण उपरांत आरोपी को 2002 में तीन वर्ष 6 माह कैद एवं 500 रूपये अर्थदंड की सजा से दंडित किया। आरोपी ने 2002 में सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील पेश की। अपील लंबित रहने के दौरान आरोपी को जमानत मिल गई। अपील पर हाईकोर्ट में अगस्त 2024 में अंतिम सुनवाई हुई। अपीलकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि मेडिकल रिपोर्ट में बलात्कार नहीं होना पाया गया है। सिर्फ प्रयास किया गया है। मामला 354 का बनता है। आरोपी ने जवानी में अपराध किया था वर्तमान में बुजुर्ग एवं विकलांग है, परिवारिक जिम्मेदारी भी है। इस कारण से जेल में बताए हुए 10 माह 6 दिन को सजा में बदल कर छो?ने निवेदन किया गया। वही शासन ने इसका विरोध किया। कहा कि 6 साल की बच्ची के साथ बलात्कार किया गया है। इस कारण मामले में हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। हाईकोर्ट ने सभी पक्षों के सुनने के बाद अपने आदेश में कहा कि मासूम के बयान से अपराध सिद्ब हुआ है। इसके अलावा अन्य गवाहों ने भी अपराध की पुष्टि की है। हाईकोर्ट ने अपील खारिज करते हुए अपीलकर्ता को 4 सप्ताह में सरेंडर करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने अपीलकर्ता के सरेंडर नहीं करने पर पुलिस को गिरफ्तार कर आरोपी को अदालत में पेश करने एवं कोर्ट को सूचना देने निर्देश दिया है।
संशोधन के बाद का अपराध होता तो आजीवन कारावास होता
आरोपी के बुजुर्ग व विकलांग होने के आधार पर सजा में छूट दिए जाने की बात सामने आने पर कोर्ट ने कहा कि पाक्सो एक्ट लागू होने के बाद यदि अपराध होता तो इसमें आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान रहा। घटना के समय धारा 375 लागू था। न्यायालय ने धारा 376 एवं 511 में सजा सुनाई है, इस कारण से सत्र न्यायालय के आदेश में कोई त्रुटि नहीं हुई है। इसके साथ कोर्ट ने सजा में छूट देने से इंनकार किया है।

News Desk

The News Desk at Janmorcha.in is committed to delivering timely, accurate, and in-depth coverage of the latest events from across the globe. Our team of seasoned journalists and editors work tirelessly to ensure that our readers are informed with the most current and reliable news. Whether it's breaking news, politics, sports, or entertainment, the News Desk is dedicated to providing comprehensive analysis and insights that matter to our audience. Trust the News Desk at Janmorcha.in to keep you informed with the news that shapes the world around us.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button