महाराष्ट्र में सीएम का मामला निपटा तो मंत्रियों को लेकर फंसा पेंच?
मुंबई। महाराष्ट्र में काफी दिनों की दुविधा के बाद रविवार को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस मंत्रिमंडल का विस्तार हो गया। शपथ समारोह राज्य की दूसरी राजधानी नागपुर में आयोजित किया गया और यह ऐतिहासिक पल है, क्योंकि यह समारोह 30 वर्षों से अधिक समय के बाद नागपुर में आयोजित किया गया। रविवार को यहां 39 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई। इसके बाद भी महाराष्ट्र में मंत्रियों को लेकर पेंच फंसा हुआ बताया जा रहा है। पहले सीएम पद को लेकर घमासान था इसके बाद मंत्री और विभाग को लेकर पूरी तरह मामला शांत नहीं होने की खबरें आ रहीं है।
राज्यपाल ने नागपुर में नवनिर्वाचित मंत्रियों को मंत्री पद की शपथ दिलाई, लेकिन प्राप्त जानकारी के अनुसार शपथ लिए मंत्रियों का कार्यकाल पांच साल का नहीं, बल्कि ढाई साल का होगा और मंत्री पद का शपथ लेने के बाद उन्हें शपथ पत्र भी लिखना होगा। इसे लेकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित गुट) के प्रमुख अजित पवार और शिवसेना (शिंदे गुट) प्रमुख एकनाथ शिंदे का बयान भी सामने आया है, लेकिन यह फॉर्मूला भाजपा के मंत्रियों पर लागू होगा या नहीं। यह अभी साफ नहीं है।
गौरतलब है कि मंत्रिमंडल के विस्तार में कुछ नए चेहरों को मौका दिया गया तो कुछ पुराने चेहरे को दोबारा मंत्री बनाया गया है। इस बीच मंत्री पद नहीं मिलने से कुछ नेताओं में नाराजगी देखी गई है। राकांपा (अजित गुट) के दो वरिष्ठ नेताओं और पूर्व मंत्रियों छगन भुजबल और दिलीप वाल्से-पाटिल को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया है।
उल्लेखनीय है कि कुल 39 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई है। इनमें भाजपा के 19, राकांपा (अजित गुट) के नौ और शिवसेना शिंदे समूह के 11 विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई है। सूत्रों के अनुसार महाराष्ट्र विधानसभा के शीतकालीन सत्र की पूर्व संध्या पर मंत्रिमंडल का विस्तार किया गया। यह सत्र सोमवार से यहां शुरू होने वाला है। इन मंत्रियों में से 33 कैबिनेट रैंक के हैं, जबकि शेष छह राज्य मंत्री हैं। इनमें से 20 नए मंत्री हैं, जिनमें तीन महिलाएं भी शामिल हैं।
भंडारा विधानसभा क्षेत्र के शिवसेना विधायक भोंडेकर ने मंत्री पद नहीं मिलने पर शिवसेना उपनेता पद से इस्तीफा दे दिया है। इसके साथ ही महागठबंधन के घटक दल आरपीआई के प्रमुख रामदास अठावले ने भी अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि हमसे एक कैबिनेट मंत्रालय और एक विधान परिषद का वादा किया गया था। पर वास्तव में कुछ भी प्राप्त नहीं हुआ है।
दूसरी ओर, उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने भी संकेत दिया है कि जिन नेताओं को मंत्री पद मिला है, वे केवल ढाई साल तक ही इस पद पर रह सकते हैं। उन्होंने एक पार्टी कार्यक्रम में भाषण के दौरान यह टिप्पणी की है लेकिन भाजपा में इस बात को लेकर संशय है कि इस फॉर्मूले का पालन किया जाएगा या नहीं।