मध्यप्रदेशराज्य

मप्र में जल्द आएगी नई एमएसएमई पॉलिसी

भोपाल । मप्र में औद्योगिक विकास को गति देने के लिए प्रदेश सरकार नई एमएसएमई पॉलिसी बना रही है। जानकारी के अनुसारी प्रदेश सरकार ग्लोबल इन्वेस्टर समिट से पहले एमएसएमई की नई पॉलिसी के साथ ही भूमि आवंटन नियम और प्रोत्साहन की नई पॉलिसी लाने जा रही है। इस पॉलिसी का मुख्य उद्देश्य प्रदेश में स्थानीय उद्यमों के विकास, विदेशी निवेशकों को प्रदेश में उद्योग लगाने के लिए आकर्षित करना और रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाना है। इसी पॉलिसी में एमएसएमई के क्षेत्र में प्रोत्साहन सब्सिडी 700 से 1100 करोड़ रुपए की जा रही है। अभी हाल ही में उद्योग मंत्री ने अलग-अलग व्यापारिक संघों से इस संबंध में बातचीत की और वर्तमान पॉलिसी में सुधार के लिए सुझाव भी मांगे थे। मिली जानकारी के मुताबिक सरकार नए औद्योगिक क्षेत्रों के विकास और निर्यात संवर्धन पर मजबूत पहल करने जा रही है। मीटिंग में मंत्री ने यह भी कहा कि एमएसएमई में प्रोत्साहन के लिए और भी अधिक पारदर्शी नीति बनाई जाएगी और स्टार्ट-अप के साथ क्लस्टर के विकास का नया ईको-सिस्टम बनेगा। यह नव उद्यमियों, अनुसूचित जाति, जनजाति और महिलाओं की इकाइयों के लिए मददगार होगा।

प्रोत्साहन सब्सिडी 1100 करोड़
उद्योग विभाग के अफसरों के मुताबिक अगले सप्ताह निर्यात बढ़ाने के लिए बड़ी कार्यशाला होगी। जिला स्तर पर स्थापित निवेश सेंटर, वन स्टॉप सेंटर के रूप में उद्योगपतियों से निरंतर संवाद किया जा रहा है। इसे और बढ़ाया जाएगा। कलेक्टर्स इस समिति को लीड करेंगे। एमएसएमई की प्रोत्साहन सब्सिडी को बढ़ाकर 700 से 1100 करोड़ रुपए कर दिया है। उद्योग परिसंघों ने सरकार की इस पहल पर मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया है। एक ऐसा पोर्टल विकसित किया जा रहा है जिसमें पॉलिसी और नीतियों के साथ उद्योगपतियों का एक ही जगह डाटा संग्रहित होगा।  वहीं निर्यात को बढ़ावा देने के लिए ट्रांसपोर्ट अनुदान, नवीकरणीय ऊर्जा मुख्यत: सोलर प्लांट को सहायता, जेड प्रमाणन को बढ़ावा देने, इंडस्ट्रियल अवशिष्ट के लिए सहायता एवं टेस्टिंग लैब को बढ़ावा देने के लिए भी सरकार काम करेगी।

विभिन्न संगठनों व उद्योगों की सरकार से मांग
विभिन्न संगठनों और औद्योगिक क्षेत्र के प्रतिनिधियों ने सरकार से अपेक्षा की है कि दोहरे कराधान को समाप्त किया जाए। भूखंड हस्तांतरण नीति को सरल किया जाए। महिला उद्यमियों द्वारा संचालित व्यवसायों को अधोसंरचना प्रदान करने, बड़े शहरों के साथ सभी जिलों में एमएसएमई के लिए नए औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने पर काम किया जाएगा। साथ ही बड़े शहरों में बहुमंजिला औद्योगिक क्षेत्रों के निर्माण तथा वर्तमान उद्योगों की उत्पादन लागत कम करने गुणवत्ता बढ़ाने नई तकनीक एवं के प्रयोग एवं आधुनिकीकरण पर अतिरिक्त अनुदान प्रदान करने जैसे सुझाव भी दिए गए।

उद्योगपतियों के सुझाव को महत्व
नई पॉलिसी में उद्योग प्रतिनिधियों से प्राप्त सुझाव को शामिल किया जाएगा। सरकार नए औघोगिक क्षेत्रों के विकास और निर्यात संवर्धन पर मजबूत पहल करेगी। एमएसएमई में प्रोत्साहन के लिए और भी अधिक पारदर्शी नीति बनाई जाएगी और स्टार्ट-अप के साथ क्लस्टर के विकास का नया ईको-सिस्टम बनेगा। यह नव उद्यमियों, अनुसूचित जाति, जनजातीय और महिलाओं की इकाईयों के लिए मददगार होगा। गौरतलब है कि वर्ष-2025 को उद्योग वर्ष के रूप में मनाने की मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुरूप ऐसी पॉलिसी बनाई जा रही है, जिससे स्थानीय स्तर पर निवेश और उद्योग का विकास हो सके।  संभाग स्तर पर हो रही रीजनल इंडस्ट्री कॉन्कलेव के अच्छे परिणाम परिलक्षित हुए हैं। इससे नजदीकी जिलों के उद्योगपतियों के सहभागिता से निवेश और रोजगार की संभावनाएं बनी है।

News Desk

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