संस्कृति - अयोध्या

जनवरी में लोहड़ी-मकर संक्रांति ही नहीं, यह पर्व भी है खास, सूर्य देव के लिए 4 दिन होता आयोजन, जानें तिथि और महत्व

भारत विविधताओं का देश है, क्योंकि यहां के लोग विभिन्न भाषाएं बोलते हैं. विभिन्न प्रकार का खाना खाते हैं, भिन्न-भिन्न धर्मों का पालन करते हैं तथा अलग-अलग पहनावा पहनते हैं. ठीक इसी तरह अलग-अलग त्योहार भी मनाते हैं. जी हां, देश के एक भाग में जहां मकर संक्रांति के पर्व को उत्साह से मनाया जाता है. वहीं, मकर संक्रांति को दक्षिण भारत में पोंगल के रूप में मनाया जाता है. दक्षिण भारत में पोंगल का त्योहार सबसे प्रमुख है. यह त्योहार भगवान सूर्यदेव को समर्पित होता है, जो लगातार 4 दिन तक चलता है. इस त्योहार से जुड़ी विशेष परंपरांए निभाई जाती हैं. अब सवाल है कि आखिर पोंगल पर्व कहां मनाया जाता है? पोंगल त्योहार कब मनाया जाएगा? पोंगल पर्व का महत्व क्या है?
पोंगल का चार दिवसीय त्योहार जनवरी के मध्य में तमिल महीने ‘थाई’ के दौरान मनाया जाता है. इस दौरान ही चावल और अन्य मुख्य फसलों की कटाई की जाती है. ज्योतिषियों के अनुसार, नए साल यानी साल 2025 में पोंगल त्योहार हिंदू सौर कैलेंडर के अनुसार 14 से 17 जनवरी तक मनाया जाएगा. इन चार दिन पोंगल पर्व की अलग अलग परंपराएं निभाई जाएंगी. पोंगल पर्व के दौरान लोग भगवान सूर्यदेव की पूजा-पाठ कर कृषि की अच्छी उपज व पैदावार के लिए धन्यवाद करते हैं और एक दूसरे को पोंगल की शुभकामनाएं देते हैं.
पोंगल पर्व के 4 दिनों का महत्व

पोंगल के पहले दिन को भोगी कहा जाता है. इस दिन नए कपड़े पहने जाते हैं और घरों को सजाया जाता है. दूसरा दिन पोंगल का मुख्य दिन होता है और इसे सूर्य पोंगल कहा जाता है. इस दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है. इस दिन रंगोली या कोल्लम बनाई जाती है. इसी दिन विशेष खीर तैयार की जाती है. तीसरे दिन को माटू पोंगल कहा जाता है. इस दिन माटू यानी मवेशियों की पूजा की जाती है. पोंगल के चौथे दिन को कन्नम पोंगल कहा जाता है. इस दिन, समुदाय को महत्व दिया जाता है और संबंधों को मजबूत किया जाता है. परिवार वाले भोजन करने के लिए एक जगह एकत्रित होते हैं. बड़ों का आशीर्वाद लिया जाता है.

पोंगल त्योहार का महत्व

पोंगल का पर्व सूर्य के उत्तरायण होने के दिन मनाया जाता है. पोंगल का त्योहार मुख्य रूप से तमिलनाडु में मनाया जाता है, इसके अलावा यह त्योहार पुडुचेरी, श्रीलंका और उन राज्यों में भी मनाया जाता है, जहां तमिल लोग निवास करते हैं. पोंगल का चार दिवसीय त्योहार कृषि व भगवान सूर्य से संबंधित होता है. यह पर्व जनवरी के मध्य मनाया जाता है. पोंगल को चार दिन तक अलग-अलग रूप में मनाया जाता है. पहले दिन जहां लोग घरों की सफाई कर कबाड़ बाहर निकालते हैं. वहीं, दूसरे दिन थोई पोंगल पर सूर्य देव को अर्घ्‍य देते हैं. इस दिन विशेष प्रकार के भोजन बनाते हैं. इस पर्व पर भगवान सूर्य देव के साथ इंद्रदेव, गाय व बैलों व खेतों में काम में लिए जाने वाले औजारों की भी पूजा की जाती है.

News Desk

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