कोर्ट की फटकार: HC में जवाब नहीं दे रहे अफसर, प्रमुख सचिव-कमिश्नर को मिल रहे व्यक्तिगत रूप से पेश होने के निर्देश
एमपी गवर्मेंट: मध्य प्रदेश सरकार और उच्च न्यायालय के बीच कई मामलों की सुनवाई चल रही है, जिनमें सरकार को उचित उत्तर प्रदान करना है। हालांकि, जिम्मेदार अधिकारी एसी कमरों में बैठकर समय पर जवाब नहीं दे पा रहे हैं, जिससे यह स्थिति विभाग के लिए समस्या बनती जा रही है।
जब लंबे समय तक कोई उत्तर नहीं मिलता, तो न्यायालय की बेंच विभाग के प्रमुख सचिव, आयुक्त और कई मामलों में मुख्य सचिव को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश देती है। यह स्थिति मध्य प्रदेश सरकार के लगभग सभी विभागों में समान रूप से देखी जा रही है। हाल ही में उच्च शिक्षा विभाग ने इस समस्या के समाधान के लिए एक आदेश जारी किया है।
जारी आदेश में दी गई जानकारी
उच्च न्यायालय द्वारा जारी आदेश में यह उल्लेख किया गया है कि माननीय उच्च न्यायालय में विभिन्न विषयों के अंतर्गत दाखिल याचिकाओं में प्रकरण प्रभारी अधिकारियों द्वारा याचिकाओं का जवाब माननीय न्यायालय में प्रस्तुत नहीं किया जा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप माननीय न्यायालय ने प्रमुख सचिव / आयुक्त उच्च शिक्षा को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के लिए निर्देशित किया है।
इसलिए, सभी शासकीय महाविद्यालयों के प्राचार्य, क्षेत्रीय कार्यालय में कार्यरत नोडल अधिकारी और विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी, जिन्हें संचालन स्तर से प्रकरण प्रभारी के रूप में नियुक्त किया गया है, को आदेश की कंडिका 1 से 13 के अनुसार जवाब प्रस्तुत करने की आवश्यकता है।
15 दिनों के भीतर जवाब दें
उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया है कि सभी प्रकरणों के प्रभारी अधिकारियों को पुनः यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि यदि माननीय उच्च न्यायालय में दाखिल याचिकाओं के उत्तर तैयार करने के लिए संचालनालय या शासन स्तर से किसी अभिलेख, आदेश या नियम की आवश्यकता हो, तो वे संबंधित शाखा के प्रभारी को सीधे पत्र भेजकर और टेलीफोन पर चर्चा करके आवश्यक अभिलेख प्राप्त करें। उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि उत्तर 15 दिनों के भीतर प्रस्तुत किया जाए। न्यायालयीन शाखा भी आपके द्वारा भेजे गए पत्र को संबंधित शाखा को अग्रेषित करती है, जिससे अनावश्यक रूप से एक ही कार्य को कई बार करने से समय की बर्बादी होती है और न्यायालयीन कार्यवाही में विलंब होता है।
सभी प्रकरणों के प्रभारी अधिकारियों को इस स्थिति से अवगत कराया गया है कि उनकी जिम्मेदारी है कि वे समय पर आवश्यक अभिलेख प्राप्त कर उत्तर प्रस्तुत करें।
खास बिंदुओं पर बात
- प्रभारी अधिकारी मामले के तथ्यों की त्वरित जॉच करेगा और याचिका में उठाए गए सभी बिंदुओं का क्रमबद्ध उत्तर देते हुए आवश्यक अतिरिक्त जानकारी प्रदान करेगा, जिससे विधिक या शासकीय अभिभाषक को सहायता मिल सके। रिपोर्ट तैयार की जाएगी, जिसमें यदि विधि विभाग से परामर्श लिया गया हो, तो उसे स्पष्ट रूप से उल्लेखित किया जाएगा।
- सभी संबंधित फाइलें, दस्तावेज, नियम, अधिसूचनाएं और आदेश एकत्रित किए जाएंगे। इसके बाद, रिपोर्ट और सामग्री के साथ शासकीय अधिवक्ता से संपर्क किया जाएगा। शासकीय अधिवक्ता की सहायता से लिखित या मौखिक उत्तर तैयार किया जाएगा।
- महत्वपूर्ण और नीतिगत मामलों में तैयार किए गए लिखित या मौखिक उत्तर विभागीय या प्रशासकीय अनुमोदन के लिए निम्नलिखित तरीके से भेजे जाएंगे।
- वाद या पत्र की एक प्रति के साथ प्रकरण और लिखित कथन का संक्षेप प्रस्तुत किया जाएगा।
- मामले की तैयारी और संचालन में सरकारी अधिवक्ता का सहयोग सुनिश्चित करना और मामले के प्रक्रम तथा संबंधित नियमों में होने वाले परिवर्तनों से हमेशा अवगत रहना आवश्यक है।
- जब भी कोई आदेश या निर्णय विशेष रूप से मध्यप्रदेश राज्य के खिलाफ पारित होता है, विधि विभाग और प्रशासनिक विभाग को सूचित करना और उसी दिन या अगले कार्य दिवस में उसकी प्रमाणित प्रति प्राप्त करने के लिए आवेदन करना चाहिए।
- आदेश या निर्णय की प्रमाणित प्रति और सरकारी अधिवक्ता की राय के साथ अपनी रिपोर्ट को इस विभाग को आगे की कार्रवाई के लिए भेजना अनिवार्य है।
- यह सुनिश्चित करना कि आवेदन करने, प्रमाणित प्रतियाँ प्राप्त करने, रिपोर्ट तैयार करने, राय लेने और सूचना देने में कोई अनावश्यक समय बर्बाद न हो।
- जैसे ही स्थानांतरण आदेश प्राप्त होता है, अर्द्ध सरकारी पत्र के माध्यम से तुरंत जानकारी देना आवश्यक है, और वर्तमान पदभार सौंपने के बाद भी तब तक जानकारी देना जारी रखना चाहिए।