फर्जी अंक सूची से नौकरी कर रहे थे प्रभारी प्राचार्य, पांच साल की हुई सजा
उमरिया । मामला है उमरिया जिले के ग्राम चिल्हारी निवासी अखिलेश्वर नाथ द्विवेदी पुत्र सम्पत प्रसाद द्विवेदी का, जिसके बारे में जानकारी देते हुए ग्राम पलझा निवासी गोविंद प्रसाद तिवारी ने बताया कि अखिलेश्वर नाथ की शिक्षा विभाग में वर्ग-1 के पद पर नियुक्ति तत्कालीन शहडोल जिले के जिला पंचायत शहडोल द्वारा साल 1998 में हुई थी। इनकी प्रथम पदस्थापना हायर सेकेंडरी मानपुर में अर्थशास्त्र के व्याख्याता के पद पर हुई। उसके बाद साल 1998 में ही उमरिया जिला बनने के बाद इनको कुछ शंका हुई तो ये अपना स्थानांतरण अमरपुर हायर सेकेंडरी स्कूल करवा लिए। लेकिन इनको वहां भी ठीक नहीं लगा तो ये अपना स्थानांतरण कटनी जिले के नगर परिषद सिनगौड़ी हायर सेकेंडरी स्कूल में करवा लिए। बाद में पदोन्नति का भी लाभ लिए और प्रभारी प्राचार्य के प्रभार में आ गए। उसके बाद इन्होंने अपना स्थानांतरण हायर सेकेंडरी स्कूल डोकरिया करवा लिए और वहां प्रभारी प्राचार्य के पद पर विराजमान रहे।
अब इनकी डिग्रियों और टैलेंट के बारे में भी जान लीजिए
ये साल 1994 में बीएससी की डिग्री झांसी बुंदेलखंड से प्राप्त किए। साल 1995 में बीएड की डिग्री बरकतउल्ला विश्वविद्यालय से प्राप्त कर लिए। इतना ही नहीं साल 1996 में वह भी माह दिसंबर में उस्मानिया हैदराबाद से एमए अर्थशास्त्र प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण कर डिग्री ले लिए। इतनी योग्यता और दो साल में बीएससी, बीएड और एमए की डिग्री देख कर फर्जीवाड़े की शंका होने पर गोविंद प्रसाद तिवारी ने 31 दिसंबर 2012 को उमरिया जिले के कलेक्टर, डीईओ, सीईओ जिला पंचायत को लिखित शिकायत देकर इनकी योग्यता एवं डिग्री देख कर शिकायत किए, जिसमें कुछ नहीं हुआ। तब आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो भोपाल से पत्र व्यवहार किए, जिस पर तत्कालीन एसपी उमरिया के पास वहां से पत्र आने पर थाना इंदवार को जांच के लिए निर्देशित किया।
उस जांच में इनकी सारी योग्यता और डिग्री फर्जी पाई गई, जिस पर थाना इंदवार के तत्कालीन थाना प्रभारी देव करण डेहरिया द्वारा थाना इंदवार में दिनांक 28/11/2013 को अपराध क्रमांक 255/13 धारा 420, 467, 468, 471 आईपीसी के तहत प्रकरण पंजीबद्ध कर जांच शुरू किया गया और दिनांक 20/10/2015 को अपर जिला एवं सत्र न्यायालय में चालान प्रस्तुत किया गया। शासकीय अधिवक्ता रचना गौतम ने बताया कि हर बिंदुओं पर सुनवाई करने के बाद दिनांक 07/10/2024 को नौ साल बाद जिला अपर सत्र न्यायाधीश सुधीर कुमार चौधरी द्वारा धारा 420, 467, 468 और 471 में सजा सुनाई जाकर जेल भेज दिया गया। न्यायालय द्वारा हर धाराओं में 5-5 वर्ष की सजा एवं 3-3 हजार रुपये के जुर्माने से दंडित किया है। साथ ही जुर्माने की रकम अदा न करने पर 6-6 माह के सश्रम कारावास की सजा का भी आदेश जारी किया गया है। वहीं, अभी तक शासन द्वारा दिये गए वेतन एवं अन्य देयकों की वसूली के भी आदेश दिए गए।