मध्यप्रदेशराज्य

भाजपा के नए प्रदेशाध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरू

सबसे पहले होगा 345 प्रदेश परिषद सदस्यों का चयन

भोपाल। मप्र भाजपा जिलाध्यक्षों के ऐलान के बाद अब जल्द ही प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा की घंटी बजेगी। सवाल ये है कि देश के आदर्श संगठनों में गिने जाने वाले मप्र में जब मुख्यमंत्री के तौर पर सत्ता का चेहरा पार्टी ने बदला है, तो क्या संगठन में भी अब लंबे समय से प्रस्तावित बदलाव होगा। या लोकसभा चुनाव में मिली बंपर जीता का इनाम वीडी शर्मा को दिया जा सकता है। हालांकि जानकार बता रहे हैं कि वीडी एक एक्सटेंशन ले चुके हैं, लिहाजा इसकी संभावना कम है। तो सवाल यह है कि भाजपा संगठन में प्रदेश अध्यक्ष की कमान किस योग्यता के पैमाने पर और किस नेता को दी जाएगी? पार्टी नेतृत्व की राइट च्वाइस कौन बनेगा? क्या इस नए चेहरे में मोहन यादव की पसंद का खास ख्याल रखा जाएगा।
भाजपा के 57 संगठनात्मक जिलों में अध्यक्षों की घोषणा के बाद अब प्रदेश के नए अध्यक्ष के चुनाव पर सभी की नजरें हैं। जिलाध्यक्षों के बाद अब प्रदेश परिषद के सदस्य भी चुने जाएंगे। दो विधानसभा क्षेत्र पर एक क्लस्टर बनाकर प्रदेश परिषद का सदस्य चुना जाएगा। कुल 345 प्रदेश परिषद सदस्यों के चयन में महिला, एससी-एसटी और ओबीसी वर्ग का भी ध्यान रखा जाएगा। भाजपा संगठन के संविधान के अनुसार पार्टी के विधायकों और सांसदों में से 10 प्रतिशत सदस्य प्रदेश परिषद के सदस्य बनाए जाएंगे। इस आधार पर संख्या बल के हिसाब से लगभग 17 विधायकों को भी प्रदेश परिषद का सदस्य बनाया जाएगा। प्रदेश परिषद के सदस्य नया प्रदेश अध्यक्ष चुनेंगे। प्रदेश में जितनी विधानसभा सीट एससी या एसटी के लिए आरक्षित हैं, उतनी संख्या में उसी वर्ग के सदस्य प्रदेश परिषद के लिए चुने जाएंगे। इसके अलावा सभी पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, जिलाध्यक्ष और महामंत्री, मोर्चा प्रकोष्ठ के अध्यक्षों में से प्रदेश परिषद के सदस्यों का निर्वाचन किया जाएगा। प्रदेश परिषद के 20 सदस्यों के प्रस्ताव पर प्रदेश अध्यक्ष का निर्वाचन किया जाएगा।

दो बार बनी मतदान की स्थिति
मप्र में अधिकतर बार सर्वसम्मति से ही भाजपा प्रदेश अध्यक्ष चुना गया है। अपवाद के रूप में केवल दौ बार संगठन चुनाव में मतदान की स्थिति बनी है। पहली बार 1990 के दशक में पार्टी द्वारा प्रदेश अध्यक्ष के लिए तय प्रत्याशी लखीराम अग्रवाल के विरुद्ध पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी संगठन चुनाव में खड़े हुए थे। दूसरी बार वर्ष 2000 में शिवराज सिंह चौहान और विक्रम वर्मा के बीच प्रदेश अध्यक्ष के लिए चुनाव हुआ था। इसमें वर्मा ने शिवराज सिंह चौहान को हरा दिया था।

भाजपा अध्यक्ष के चुनाव में मोहन की मर्जी
मप्र भाजपा में करीब 18 साल बाद सत्ता का चेहरा बदला है। शिवराज सिंह चौहान की जगह मोहन यादव को कमान सौंपी गई है। माना जा रहा है कि अब संगठन में होने जा रहे बदलाव में भी मोहन की मर्जी को प्रमुखता दी जाएगी। भाजपा के हर दौर में संगठन और सरकार का समन्वय सबसे बड़ी चुनौती रहा है। लिहाजा पार्टी चाहती है कि दो साल बाद होने वाले नगरीय निकाय के चुनाव और करीब 4 साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव तक पार्टी संगठन और सरकार में समन्वय के साथ मजबूत बनी रहे। मप्र भाजपा में यूं 5 जनवरी के बाद से ही प्रदेश अध्यक्ष के लिए चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जानी थी, लेकिन जिलाध्यक्षों की घोषणा में हुई देरी की वजह से आधा महीना तो जिलाध्यक्षों की सूची आने में लग गया, लेकिन माना जा रहा है कि जनवरी महीने के आखिर तक मप्र में प्रदेश अध्यक्ष का एलान भी हो जाएगा। हालांकि जैसे-जैसे इस एलान में देरी हो रही है। पार्टी में दावेदारों के नए चेहरे सामने आ रहे हैं।

कई नेता दावेदार
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा की जगह कौन लेगा, इसको लेकर लंबे समय से चर्चा चल रही है। अब प्रदेश में जिला अध्यक्षों के नाम की घोषणा शुरू हो गई है। ऐसे में माना जा रहा है कि जल्द ही भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के निवार्चन की प्रक्रिया भी शुरू हो सकती है। प्रदेश अध्यक्ष की रेस में पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा, अरविंद भदौरिया, बैतूल से विधायक हेमंत खंडेवलवाल, सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते और राज्यसभा सदस्य सुमर सिंह सोलंकी के नाम चर्चा में है।

फग्गन सिंह कुलस्ते
सात बार के सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते इस दौड़ में सबसे मजबूत उम्मीदवार माने जा रहे हैं। केंद्रीय मंत्री रह चुके कुलस्ते को विधानसभा चुनाव में हार के बावजूद लोकसभा का टिकट दिया गया। भाजपा में कुलस्ते आदिवासियों का बड़ा चेहरा है। ऐसे में एसटी वर्ग से प्रदेश अध्यक्ष बनने के लिए दावेदार माने जा रहे हैं।

सुमेर सिंह सोलंकी
राज्यसभा सांसद सुमेर सिंह सोलंकी युवा नेता हैं। उनकी आदिवासी समुदाय में अच्छी पकड़ है। वह भाजपा में संघ के करीबी माने जाते हैं। इसलिए उनका नाम भी रेस में है।

 डॉ. नरोत्तम मिश्रा
पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा भी प्रदेश अध्यक्ष के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। उनको महाराष्ट्र चुनाव में अहम जिम्मेदारी दी गई। लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश में कई कांग्रेसी नेताओं का उन्होंने भाजपा में शामिल कराया।

अरविंद सिंह भदौरिया
पूर्व मंत्री अरविंद सिंह भदौरिया क्षत्रिय वर्ग से आते है। ब्राह्मण के बाद क्षत्रिय को मौका देने की चर्चा चल रही है। भदौरिया को केंद्रीय नेतृत्व के कुछ नेताओं का समर्थन भी है।  
हेमंत खंडेलवाल
बैतूल से विधायक और पूर्व सांसद हेमंत खंडेलवाल का नाम भी प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में शामिल है। वह प्रदेश संगठन में लंबे समय से काम कर रहे है। संगठन के ही वरिष्ठ नेताओं ने उनका नाम बढ़ाया है।

News Desk

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