संस्कृति - अयोध्या

दुनिया का पहला मंदिर जहां शिव जी बने वट वृक्ष, पूजा से मिटती हैं शारीरिक और मानसिक बीमारियां!

आश्रम एक ऐसी जगह होती है जो आत्मा को शांति देती है. भारत में कई आश्रम हैं, जहां हिंदू देवताओं की पूजा होती है, लेकिन गांधीनगर के आदलाज के पास शेरथा गांव में एक ऐसा आश्रम है, जहां किसी देवता की मूर्ति या शिवलिंग की पूजा नहीं होती. इस वडावाला महादेव आश्रम में भगवान शिव की पूजा वट वृक्ष के रूप में महामृत्युञ्जय मंत्र के जाप से की जाती है.

दुनिया का पहला ऐसा मंदिर
लोकल 18 से बात करते हुए वडावाला महादेव आश्रम के प्रबंध ट्रस्टी,रजनीशभाई पटेल ने कहा कि यह दुनिया का पहला ऐसा मंदिर है, जहां भगवान भोलेनाथ को वट वृक्ष के रूप में स्थापित किया गया है. इस दाढ़ी वाले महादेव को 2023 के पवित्र श्रावण मास के पहले सोमवार को स्थापित किया गया. ऐसा माना जाता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से पूजा करता है, भगवान भोलेनाथ उसकी सभी इच्छाओं और मनोकामनाओं को पूरा करते हैं. इस दाढ़ी वाले महादेव के मात्र दर्शन से शारीरिक और मानसिक बीमारियों से राहत मिलती है.

महामृत्युञ्जय मंत्र का महत्व
इस आश्रम में नियमित रूप से महामृत्युञ्जय मंत्र का जाप किया जाता है. इसका उद्देश्य समाज और राष्ट्र का निर्माण करना है. साथ ही, यह मंत्र हिंदू संस्कृति की रक्षा करने और समाज में सकारात्मकता फैलाने का काम करता है. यहां योग-प्राणायाम और ध्यान जैसे स्वास्थ्यवर्धक कार्य (Healthy work) भी किए जाते हैं, जो शरीर और मन को बहुत लाभ पहुंचाते हैं. अब तक इस संगठन द्वारा 50,000 से अधिक वट वृक्ष लगाए जा चुके हैं.

महामृत्युञ्जय मंत्र की विशेषता
बता दें कि भगवान शिव का यह मंत्र आध्यात्मिक साधना से भी अधिक लाभकारी है. इसे रुद्र मंत्र या त्र्यंबकम मंत्र भी कहा जाता है. यह मंत्र ऋग्वेद और यजुर्वेद जैसे पवित्र ग्रंथों में वर्णित है. यह न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बल्कि मानसिक शांति के लिए भी अत्यधिक उपयोगी है.

वट वृक्ष का महत्व
वट वृक्ष को हमारा राष्ट्रीय वृक्ष माना गया है. यह अक्षय वृक्ष के रूप में जाना जाता है. यह न केवल पक्षियों के लिए आश्रय और भोजन प्रदान करता है, बल्कि इसे लगाने से व्यक्ति को 1000 अश्वमेध यज्ञों के बराबर पुण्य मिलता है. शास्त्रों के अनुसार, वट वृक्ष के नीचे बैठकर पूजा करने से सुख और समृद्धि प्राप्त होती है. इस वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास माना जाता है. भगवान बुद्ध ने भी वट वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त किया था.

 पर्यावरण और कृषि में योगदान
वट वृक्ष निरंतर ऑक्सीजन प्रदान करता है और अपनी मोटी जड़ों से भूकंप के झटकों को भी सहन करता है. यदि इसे नदी, झील या तालाब के किनारे लगाया जाए, तो यह पक्षियों के लिए घर बन जाता है और किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों को नष्ट करता है. इससे फसल उत्पादन बढ़ता है और किसानों के कीटनाशक खर्च में भी कमी आती है.

10 करोड़ वट वृक्ष लगाने का संकल्प
इस संगठन ने भारत की सभी छोटी और बड़ी झीलों व नदी किनारों पर 10 करोड़ वट वृक्ष लगाने का संकल्प लिया है, ताकि मानव जीवन और पर्यावरण को बेहतर बनाया जा सके.

News Desk

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