विदेश

तुलसी गबार्ड ने भगवद् गीता की महिमा पर डाला प्रकाश, हिंदू धर्म के लिए कई बार उठा चुकी हैं आवाज

नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा पहली अभारतीय हिंदू नेता तुलसी गबार्ड को अमेरिका की नेशनल इंटेलीजेंस एजेंसी का निदेशक नियुक्त करने को परंपरागत अमेरिकी राजनीति में बड़े बदलाव के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है।

हिंदू धर्म की परंपराओं और रीति रिवाज में गहरी आस्था रखने वाली गबार्ड ना सिर्फ भारत और अमेरिका के मौजूदा रणनीतिक रिश्तों को और ज्यादा प्रगाढ़ बनाने की प्रबल समर्थक रही हैं बल्कि समय-समय पर वह हिंदू हितों की बात भी खुल कर रखती रही हैं। उनकी नेतृत्व में भारत व अमेरिका के बीच आतंकवाद के खिलाफ सहयोग बढ़ने की संभावना है। वैसे इस क्षेत्र में दोनों देशों के बीच लगातार सहयोग बढ़ रहा है।

अमेरिकन सामोआ (दक्षिणी प्रशांत महासागर में स्थित अमेरिका के अधिकार द्वीप) में जन्मी तुलसी गबार्ड की मां कैरोल गबार्ड का झुकाव हिंदू धर्म की तरफ था। उन्होंने अपने बच्चों के हिंदू नाम रखे हैं। किशोरवस्था में आते-आते तुलसी ने पूरी तरह से हिंदू धर्म को अंगीकार कर लिया।

उन्होंने दो दशक तक आर्मी नेशनल गार्ड को अपनी सेवाएं दी हैं। 21 वर्ष की आयु में गबार्ड ने राजनीति में प्रवेश किया था। वह पहली बार प्रतिनिधि सभा की हिंदू सदस्य बनी थीं। इसके बाद वह जब कांग्रेस में चयनित हुई तो गीता पर हाथ रख कर शपथ ली थी। एक साक्षात्कार में उन्होंने गीता को अपनी जीवन-रेखा बताया था।

राष्ट्रपति ट्रंप की कट्टर समर्थक के तौर पर सामने आईं
वर्ष 2020 में राष्ट्रपति पद के लिए डेमोक्रेट पार्टी की तरफ से दावेदारी भी पेश की। लेकिन जब यह स्पष्ट हो गया कि डेमोक्रेट पार्टी की तरफ से कमला हैरिस को प्रतिनिधि बनाया जाएगा तो वह पीछे हट गईं। बाद में वह राष्ट्रपति ट्रंप की कट्टर समर्थक के तौर पर सामने आईं।

ट्रंप की तरफ से उन्हें अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया एजेंसी के मुखिया के पद पर नियुक्त करने पर गबार्ड ने बुधवार देर रात कहा कि आपकी कैबिनेट के सदस्य के तौर पर अमेरिकी लोगों की सुरक्षा, रक्षा व आजादी के लिए काम करने का अवसर देने पर आपका धन्यवाद, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप।

गबार्ड ने भारत के साथ संबंधों को खास तरजीह देने की वकालत की
गबार्ड ने पूर्व में हमेशा से भारत के साथ संबंधों को खास तरजीह देने की वकालत की है। कई मौकों पर उन्होंने भारत के हितों का खुल कर समर्थन किया है। भारत ने जब अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने का प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र में पेश किया था तो सबसे पहला समर्थन गबार्ड ने ही किया था। बाद में गबार्ड ने मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान मुलाकात भी की थी और उन्हें गीता भी भेंट की।

अमेरिका में जब हिंदू धर्म स्थलों पर हमला हुआ तो उन्होंने इसका विरोध किया। हाल ही में जब बांग्लादेश में मंदिरों पर हमलों को लेकर भी इंटरनेट मीडिया पर आवाज बुलंद की। पाकिस्तान व इसके समर्थन से चलने वाले आतंकवादी संगठनों के खिलाफ भी तुलसी काफी कठोर विचार रखती हैं।

सनद रहे कि अमेरिका के नये एनएसए माइक वाल्ट्ज भी पाकिस्तान के आतंकवादी कनेक्शन को लेकर कुछ ऐसे ही विचार रखते हैं। समझा जाता है कि नए एनएसए और नई निदेशक (अमेरिकन इंटेलीजेंस) पाकिस्तान पर आतंकवाद से दूर रहने को लेकर दबाव बना सकते हैं।

News Desk

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