मध्यप्रदेशराज्य

ज्योतिरादित्य सिंधिया-नरेंद्र सिंह तोमर के बीच सियासी संतुलन बनाएगा विजयपुर उपचुनाव

भोपाल ।  भाजपा के वरिष्ठ नेता और विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर का कभी ग्वालियर-चंबल अंचल में एकतरफा वर्चस्व हुआ करता था लेकिन जबसे ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने समर्थकों के साथ पार्टी में आए हैं, तबसे उनका कद प्रभावित हुआ है। डा. मोहन यादव सरकार में ही देखा जाए तो एदल सिंह कंषाना को छोड़कर अधिकतर मंत्री ज्योतिरादित्य समर्थक ही हैं। यही कारण है कि नरेंद्र सिंह तोमर लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रहे रामनिवास रावत को भाजपा में लाए और उन्हें मंत्री बनाया गया। इससे कुछ हद तक ज्योतिरादित्य सिंधिया का वजन कम हुआ है। अब रामनिवास रावत का साथ पाकर एक बार फिर नरेंद्र सिंह तोमर ग्वालियर-चंबल की राजनीति में भाजपा के बड़े नेता बनने में सफल हुए हैं। यही वजह है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया विजयपुर उपचुनाव में कम ध्यान दे रहे हैं।

सिंधिया के करीबी थे रामनिवास

कांग्रेस में रहते हुए रामनिवास रावत ज्योतिरादित्य के करीबी थे लेकिन वर्ष 2020 में जब ज्योतिरादित्य ने अपने समर्थकों के साथ कांग्रेस छोड़ी थी, तब छह बार के विधायक रामनिवास रावत ही अंचल में ऐसे बड़े नेता थे, जो पार्टी के साथ बने रहे थे। इसके दोनों के संबंध प्रभावित हुए थे।

2020 में पलड़ा था भारी

दरअसल, वर्ष 2020 से ही ग्वालियर- चंबल की राजनीति में असंतुलन की स्थिति बनी हुई है। तब तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कैबिनेट में इस अंचल के इतने अधिक मंत्री बन गए थे कि पूरे प्रदेश में प्रतिनिधित्व बिगड़ गया था। तब ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने वाले प्रद्युम्न सिंह तोमर, इमरती देवी, ओपीएस भदौरिया, सुरेश राठखेड़ा, महेंद्र सिंह सिसौदिया, बृजेंद्र सिंह यादव और गिर्राज दंडोतिया शामिल थे। उपचुनाव में दो मंत्री इमरती देवी और गिर्राज दंडोतिया चुनाव हार गए थे। उस समय से ही मध्य प्रदेश की राजनीति में ज्योतिरादित्य सिंधिया का महत्व बढ़ गया था। वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में केंद्र की राजनीति में सक्रिय नरेंद्र सिंह तोमर को भी चुनाव लड़वा दिया गया। उन्हें विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया।

अब एकबार फिर पलड़ा हो रहा बराबर

डा. मोहन यादव मुख्यमंत्री बने तो भी उनकी कैबिनेट में ज्योतिरादित्य सिंधिया के ही समर्थक ज्यादा थे। चंबल की राजनीति में नरेंद्र सिंह तोमर इस लिहाज से अकेले पड़ गए थे। कहा जाता है कि केवल एदल सिंह कंषाना ही उनके साथ थे। यही वजह है कि नरेंद्र सिंह तोमर के प्रयास लोकसभा चुनाव के दौरान रंग लाए और वे कांग्रेस से रामनिवास रावत को तोड़कर भाजपा में ले आए। पार्टी के नेता मान रहे हैं कि रामनिवास रावत चुनाव जीतेंगे तो नरेंद्र सिंह तोमर का वजन बढ़ेगा। यही कारण है कि नरेंद्र सिंह तोमर ही उपचुनाव के सूत्र भी संभाल रहे हैं।

News Desk

The News Desk at Janmorcha.in is committed to delivering timely, accurate, and in-depth coverage of the latest events from across the globe. Our team of seasoned journalists and editors work tirelessly to ensure that our readers are informed with the most current and reliable news. Whether it's breaking news, politics, sports, or entertainment, the News Desk is dedicated to providing comprehensive analysis and insights that matter to our audience. Trust the News Desk at Janmorcha.in to keep you informed with the news that shapes the world around us.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button