विदेश

आंध्र प्रदेश का यह गांव डोनाल्ड ट्रंप की जीत का जश्न क्यों मना रहा है? पत्नी के साथ रिश्ते से जुड़ा है खास कनेक्शन…

अमेरिका में रिपब्लिकन पार्टी की चुनावी जीत का जश्न मनाया जा रहा है।

लेकिन भारत में भी एक छोटे से गांव के लोग अपनी “सेकंड लेडी” बनने वाली वंशज को लेकर खुशी मना रहे हैं।

भारतीय मूल की उच्च शिक्षित और सफल वकील ऊषा वेंस अमेरिकी चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप के साथी उम्मीदवार जे.डी. वेंस की पत्नी हैं।

ऊषा लेकर उनके पैतृक गांव वडलूरु में लोग आशान्वित हैं कि उनकी सफलता से उनके गांव को भी लाभ मिलेगा।

38 वर्षीय ऊषा वेंस का जन्म और पालन-पोषण कैलिफोर्निया के सान डिएगो में हुआ। भारतीय प्रवासियों की बेटी उषा सैन डिएगो उपनगर में ही पली-बढ़ीं।

उनके माता-पिता का पैतृक गांव आंध्र प्रदेश के पश्चिमी गोदावरी जिले में वडलुरु है। पढ़ाई में होनहार छात्रा रहीं और किताबों से लगाव रखने वाली उषा ने आगे चलकर नेतृत्व के गुण दिखाए।

गांव के लोगों ने उनके ऐतिहासिक संबंधों के मद्देनजर प्रार्थना की और इस उम्मीद में हैं कि ऊषा वेंस अपने पैतृक स्थान को कुछ लौटाने में सहायक साबित होंगी। गांव के निवासी श्रीनिवास राजू (53 वर्ष) ने बताया, “हम खुश हैं और ट्रंप का समर्थन करते हैं।”

परिवार के सदस्यों ने बताया कि ऊषा का परिवार मूल रूप से आंध्र प्रदेश के वडलुरु नामक गांव का रहने वाला है, लेकिन जब उनके दादा रामशास्त्री चिलुकुरी 1959 में आईआईटी की स्थापना के समय वहां पढ़ाने गए, तो वे चेन्नई में बस गए।

उनके माता-पिता 1970 के दशक के अंत में अमेरिका चले गए और अब सैन डिएगो में इंजीनियरिंग और आणविक जीव विज्ञान पढ़ाते हैं।

गांव के पुजारी अप्पाजी ने ट्रंप की जीत के लिए प्रार्थना की और कहा कि वह उम्मीद करते हैं कि ऊषा वेंस गांव के लिए कुछ अच्छा करेंगी। उन्होंने कहा, “अगर वह अपनी जड़ों को पहचानते हुए हमारे गांव के लिए कुछ कर सकें, तो यह बहुत बड़ी बात होगी।”

वडलूरु गांव से ऊषा वेंस के परदादा ने बाहर कदम रखा था। ऊषा के पिता चिलुकुरी राधाकृष्णन ने चेन्नई में शिक्षा प्राप्त की और फिर अमेरिका में जाकर पढ़ाई पूरी की। गांव के बुजुर्ग वेंकटा रमणय्या (70 वर्ष) ने बताया, “हर भारतीय को गर्व है कि ऊषा भारतीय मूल की हैं।

हमें उम्मीद है कि वह हमारे गांव का विकास करेंगी।” हालांकि ऊषा ने कभी गांव का दौरा नहीं किया, लेकिन पुजारी का कहना है कि उनके पिता करीब तीन साल पहले आए थे और मंदिर की स्थिति की जानकारी ली थी। रमणय्या ने कहा, “हमने ट्रंप का शासन देखा है – बहुत अच्छा था। ट्रंप के समय में भारत-अमेरिका संबंध बहुत अच्छे रहे।”

ऊषा वेंस के पिता राधाकृष्णन की शुरुआती अमेरिका यात्रा के बारे में अधिक जानकारी नहीं है, लेकिन उनके पति जे.डी. वेंस के संस्मरण ‘हिलबिली एलिगी’ पर आधारित फिल्म में बताया गया है कि वे “कुछ भी न लेकर” अमेरिका आए थे।

ऊषा, ओहियो के सीनेटर जे डी वेंस (39) के साथ खड़ी थीं, जब ट्रंप ने राष्ट्रपति चुनाव में जीत के बाद समर्थकों को संबोधित किया।

वेंस ने 2020 में मेगन केली शो के पॉडकास्ट को बताया था, ‘‘अगर मैं थोड़ा बहुत अहंकारी या थोड़ा बहुत घमंडी हो जाता हूं, तो मैं खुद को याद दिलाता हूं कि वह (उषा) मुझसे कहीं ज्यादा निपुण है। लोग यह नहीं जानते कि वह कितनी प्रतिभाशाली हैं।’’

ऊषा और वेंस की मुलाकात येल लॉ स्कूल में पढ़ाई के दौरान हुई थी और बाद में 2014 में केंटकी में उनकी शादी हुई। वेंस के तीन बच्चे हैं: बेटे इवान और विवेक, तथा एक बेटी जिसका नाम मिराबेल है।

ट्रंप द्वारा वेंस को उपराष्ट्रपति उम्मीदवार चुने जाने के बाद, ऊषा की हिंदू जड़ें जल्द ही चर्चा का विषय बन गईं। वेंस ने कई मौकों पर कहा है कि उनकी पत्नी ईसाई नहीं हैं, लेकिन वह उनके विश्वास को गहरा करने में ‘‘बहुत सहायक’’ रहीं।

अंतरधार्मिक विवाह की चुनौतियों के बारे में पूछे जाने पर ऊषा ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि ऐसी बहुत सी चीजें हैं जिन पर हम सहमत हैं, खासकर जब पारिवारिक जीवन की बात आती है, कि अपने बच्चों की परवरिश कैसे करें। इसलिए मुझे लगता है कि इसका जवाब असल में यही है कि हम बस खूब बातें करते हैं।’’

‘न्यूयॉर्क पोस्ट’ ने जून में ऊषा और उनके पति के साथ के एक संयुक्त साक्षात्कार का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि उन्हें ‘‘चर्चा में रहने में दिलचस्पी नहीं हैं’’ लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि दंपति ‘‘यह देखने के लिए तैयार हैं कि उनके जीवन में क्या होता है।’’

ट्रंप ने फ्लोरिडा के पाम बीच में चुनाव परिणाम का जिक्र करते हुए हुए उषा-वेंस की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘‘मैं बधाई देने वाला पहला व्यक्ति बनना चाहता हूं, अब मैं उपराष्ट्रपति पद के लिए चुने गए जेडी वेंस, और उनकी पत्नी उषा वेंस को बधाई दे सकता हूं।’’

अमेरिका में रहने वाले भारतीयों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है और वे अब दूसरे सबसे बड़े एशियाई समुदाय के रूप में उभरे हैं।

वहीं, करीब 730 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में कमला हैरिस के दादा का गांव तुलासेंद्रापुरम में उनका नाम युवतियों को पढ़ाई की प्रेरणा दे रहा है।

वहां के निवासी टी.एस. अंबारासु (63 वर्ष) ने कहा, “कमला हैरिस की सफलता से हमारे गांव की लड़कियों को शिक्षा जारी रखने की प्रेरणा मिली है।”

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