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क्या दिल्ली चुनाव में 2003 वाला फैसला लेगी बीजेपी

नई दिल्ली । दिल्ली में विधानसभा चुनाव को लेकर बिगुल बज चुका है। आम आदमी पार्टी  पहले ही सभी प्रत्याशियों के नामों का ऐलान कर चुकी है। हालांकि भारतीय जनता पार्टी  ने अभी महज 29 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी की है। लेकिन यह साफ नहीं है कि वह इस चुनाव में कुल कितने सीटों पर चुनाव लड़ेगी। पिछले कुछ चुनाव से वह सभी 70 सीटों पर अपने प्रत्याशियों को नहीं उतार रही है। बीजेपी साल 1998 में हार के बाद से ही दिल्ली की सत्ता से दूर है और इस बार वह अपने सूखे को खत्म करने को कोशिशों में जुटी है। भगवा पार्टी की राह इस बार भी आसान नहीं दिख रही क्योंकि उसके सामने अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी है जो कड़ी चुनौती पेश कर रही है। आम आदमी पार्टी पिछले 2 चुनावों में बंपर जीत के साथ सत्ता पर काबिज है और वह 2025 में जीत की हैट्रिक लगाना चाहती है। आप के उदय के बाद से लोकसभा चुनावों में लगातार क्लीन स्वीप करने वाली बीजेपी का प्रदर्शन विधानसभा चुनाव में कमतर रहा है। बीजेपी दिल्ली विधानसभा में पिछले 4 चुनावों से सभी 70 सीटों पर अपने प्रत्याशी नहीं उतार रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या बीजेपी इस बार सभी 70 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। हालांकि अब इसकी संभावना कम ही दिखती है क्योंकि कई सीटों पर पार्टी की स्थिति कमजोर मानी जाती है और इसे सहयोगी दलों को दे सकती है। बीजेपी ने पिछले 7 चुनावों में महज 2 बार भी सभी 70 प्रत्याशियों को उतारा था। पहली बार 1993 में फिर दूसरी बार 2003 में उसने ऐसा किया था। 1993 में पार्टी सत्ता में लौटी थी, जबकि 2003 में वह 20 सीट पर सिमट गई थी। साल 2020 के चुनाव में बीजेपी ने दिल्ली की 70 में से 67 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे जबकि 2 सीटें जनता दल यूनाइटेड तो एक सीट लोक जनशक्ति पार्टी को दे दी थी। हालांकि पार्टी को इसका फायदा नहीं हुआ। सहयोगी दल अपनी जीत दर्ज नहीं करा सके जबकि बीजेपी को 8 सीटों पर जीत हासिल हुई। आम आदमी पार्टी ने 62 सीटों पर कब्जा जमाया। इससे पहले 2015 के चुनाव में बीजेपी ने कुल 69 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे और एक सीट (हरिनगर सीट) शिरोमणि अकाली दल को दे। बीजेपी ने यूं तो 4 सीटें अकाली दल को दी थी, लेकिन उसके 3 प्रत्याशी बीजेपी के सिंबल पर चुनाव लड़े थे। बीजेपी को 69 में से महज 3 सीटों पर जीत हासिल हुई, जबकि 2 सीटों पर जमानत जब्त हो गई। आप ने 67 सीटों पर जीत के साथ पूर्ण बहुमत हासिल किया था।बीजेपी ने पिछले 7 चुनावों में महज 2 बार भी सभी 70 प्रत्याशियों को उतारा था। पहली बार 1993 में फिर दूसरी बार 2003 में उसने ऐसा किया था। 1993 में पार्टी सत्ता में लौटी थी, जबकि 2003 में वह 20 सीट पर सिमट गई थी। साल 2020 के चुनाव में बीजेपी ने दिल्ली की 70 में से 67 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे जबकि 2 सीटें जनता दल यूनाइटेड तो एक सीट लोक जनशक्ति पार्टी को दे दी थी। हालांकि पार्टी को इसका फायदा नहीं हुआ। सहयोगी दल अपनी जीत दर्ज नहीं करा सके जबकि बीजेपी को 8 सीटों पर जीत हासिल हुई। आम आदमी पार्टी ने 62 सीटों पर कब्जा जमाया। इससे पहले 2015 के चुनाव में बीजेपी ने कुल 69 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे और एक सीट (हरिनगर सीट) शिरोमणि अकाली दल को दे। बीजेपी ने यूं तो 4 सीटें अकाली दल को दी थी, लेकिन उसके 3 प्रत्याशी बीजेपी के सिंबल पर चुनाव लड़े थे। बीजेपी को 69 में से महज 3 सीटों पर जीत हासिल हुई, जबकि 2 सीटों पर जमानत जब्त हो गई। आप ने 67 सीटों पर जीत के साथ पूर्ण बहुमत हासिल किया था। बीजेपी ने साल 2013 में 68 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे, तब उसे 31 सीटों पर जीत हासिल हुई थी, जबकि 2 सीटों पर जमानत जब्त हो गई थी। इस चुनाव में बीजेपी जीत की प्रबल दावेदार थी, लेकिन आप के चुनावी मैदान में उतरने से सियासी परिणाम बदल गया। केजरीवाल की पार्टी के 28 सीटों पर कब्जा करने की वजह से त्रिशंकु विधानसभा हुई और यह कार्यकाल ज्यादा देर तक नहीं चला था। आप के आने से पहले दिल्ली में बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही द्वीपक्षीय मुकाबला हुआ करता था। अगर साल 1993 में दिल्ली में हुए पहले विधानसभा चुनाव को देखें तो बीजेपी ने पहली बार सभी 70 की 70 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, जिसमें उसे 49 सीटों पर जीत हासिल हुई। बीजेपी पहली और आखिरी बार दिल्ली की सत्ता पर काबिज हुई थी। साल 1998 के दूसरे विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अपनी रणनीति बदली और 67 सीटों पर ही प्रत्याशी उतारे। बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा और महज 15 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा। कांग्रेस बड़ी जीत के साथ सत्ता में लौटी। बीजेपी ने साल 2003 के चुनाव में दूसरी और आखिरी बार सभी 70 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे, लेकिन पार्टी को कुछ फायदा नहीं हुआ। वह महज 20 सीटों पर ही जीत हासिल कर सकी, जबकि 7 पर जमानत जब्त हो गई। बीजेपी ने 2008 के चुनाव में 69 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे और पिछले 2 चुनावों में करारी हार में सुधार लाते हुए 23 सीटों पर जीत हासिल की। यह बीजेपी का इस समय तक का दूसरा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था। कांग्रेस ने 70 सीटों पर उम्मीदवार उतारते हुए 43 सीटों पर जीत दर्ज कराई और लगातार तीसरी बार सत्ता पर काबिज होने का रिकॉर्ड बना दिया। कांग्रेस के अलावा बहुजन समाज पार्टी ने भी 70 प्रत्याशियों को खड़ा किया था लेकिन उसे महज 2 सीटों पर जीत मिली थी।

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