संस्कृति - अयोध्या

भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दिया था ये दिव्य ज्ञान, जानें दुनिया के सबसे बड़े इस ज्ञान के बारे में!

मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस बार यह एकादशी व्रत 11 दिसंबर को किया जाएगा. इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था. इसलिए मोक्षदा एकादशी के दिन गीता जयंती मनाई जाती है.हर साल मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को गीता जयंती मनाई जाती है, जिसे मोक्षदा एकादशी भी कहा जाता है.

गीता जयंती किस दिन मनाई जाएगी : इस वर्ष गीता जयंती और मोक्षदा एकादशी 11 दिसंबर को मनाई जा रही है. हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी की शुरुआत 11 दिसंबर को देर रात 03 बजकर 42 मिनट से होगी और इसका समापन 12 दिसंबर को रात 01 बजकर 9 मिनट पर होगा. उदया तिथि के अनुसार गीता जंयती 11 दिसंबर को मनाई जाएगी.
गीता में श्रीकृष्ण ने कहा है कि मनुष्य को फल की इच्छा छोड़कर कर्म पर ध्यान देना चाहिए. मनुष्य जैसा कर्म करता है, उसे फल भी उसी के अनुरूप मिलता है. इसलिए व्यक्ति को अच्छे कर्म करते रहना चाहिए. श्रीकृष्ण के अनुसार व्यक्ति को खुद से बेहतर कोई नहीं जान सकता, इसलिए स्वयं का आकलन करना बेहद जरूरी है. गीता कहती है कि व्यक्ति को सही काम करना चाहिए क्योंकि उसने तय कर लिया है कि यह सही है, बिना किसी फल की लालसा के, बिना किसी परिणाम, हानि या लाभ की चिंता किए. इच्छाएं, स्वार्थ और फल की लालसा व्यक्ति को आध्यात्मिक जीवन से दूर कर सकती हैं.

अध्याय 1: अर्जुनविषादयोगः – कुरुक्षेत्र के युद्धस्थल में सैन्यनिरीक्षण
अध्याय 2: साङ्ख्ययोगः – गीता का सार
अध्याय 3: कर्मयोगः – कर्मयोग
अध्याय 4: ज्ञानकर्मसंन्यासयोगः – दिव्य ज्ञान
अध्याय 5: कर्मसंन्यासयोगः – कर्मयोग-कृष्णभावनाभावित कर्म
अध्याय 6: आत्मसंयमयोगः – ध्यानयोग
अध्याय 7: ज्ञानविज्ञानयोगः – भगवद्ज्ञान
अध्याय 8: अक्षरब्रह्मयोगः – भगवत्प्राप्ति
अध्याय 9: राजविद्याराजगुह्ययोगः – परम गुह्य ज्ञान
अध्याय 10: विभूतियोगः – श्री भगवान् का ऐश्वर्य
अध्याय 11: विश्वरूपदर्शनयोगः – विराट रूप
अध्याय 12: भक्तियोगः – भक्तियोग
अध्याय 13: क्षेत्रक्षेत्रज्ञविभागयोगः – प्रकृति, पुरुष तथा चेतना
अध्याय 14: गुणत्रयविभागयोगः – प्रकृति के तीन गुण
अध्याय 15: पुरुषोत्तमयोगः – पुरुषोत्तम योग
अध्याय 16: दैवासुरसम्पद्विभागयोगः – दैवी तथा आसुरी स्वभाव
अध्याय 17: श्रद्धात्रयविभागयोगः – श्रद्धा के विभाग
अध्याय 18: मोक्षसंन्यासयोगः – उपसंहार-संन्यास की सिद्धि

भगवत गीता का प्रथम श्लोक:
धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे् समवेता युयुत्सवः .
मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत संजय ॥1॥

भावार्थ : धृतराष्ट्र बोले- हे संजय! धर्मभूमि कुरुक्षेत्र में एकत्रित, युद्ध की इच्छावाले मेरे और पाण्डु के पुत्रों ने क्या किया?॥

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